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सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत को लेकर आज से प्रशासन अलर्ट मोड

झील के दलदल का सफाई अभियान शुरू तो सांभर पहुंचे देशभर के पक्षी विशेषज्ञ

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kuchaman. Sambhar Lake blossoming with Grater Flamingo

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जयपुर
सांभर झील में लगातार हो रही प्रवासी पक्षियों की मौत को लेकर प्रशासन हरकत में आ गया हैं। लगातार हो रही मौत को लेकर आज से प्रशासन अलर्ट मोड पर हैं। अब ज्यादा पक्षियों की मौत नहीं हो इसके लिए सांभर झील के पास ही रेस्क्यू सेंटर बनाने की कवायद शुरू हो गई हैं। वहीं डॉक्टर्स की टीम भी मौके पर पर पहुंच गई हैं। तो जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद आज से झील में भी सफाई अभियान शुरू हो गया हैं। झील की दलदल में दबे मृत पक्षियो के अवशेषों को बाहर निकालकर दफनाने की प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। क्योकि पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि सांभर झील के दलदल में हजारो मृत पक्षी दबे हुए हैं। जिस कारण से यहां आने वाले पक्षी इन मृत पक्षियों के जीवाणुओं को खा रहे है जिस कारण से उनमें बोटुलिज्म फैलने से मौत हो रही हैं। आज झील के दलदल में इन मृत पक्षियों के अवशेष को बाहर निकालने के लिए आपरेशन शुरू हो गया है जिस कारण से अब प्रवासी पक्षियों की मौत में भी कमी आएगी। झील की सफाई के लिए वॉलिटियर्स की मदद ली जा रही हैं। वहीं किसी भी तरह के घायल पक्षी के इलाज के लिए उसे करीब 40 किलोमीटर दूर नहीं ले जाया जाएगा बल्कि झील पर ही आज से शुरू हुए चार रेस्क्यू सेंटर पर उनका इलाज किया जाएगा। गौरतलब है कि मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर बीती शाम एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। जिसमें सीएम ने झील पर ही रेस्क्यू सेंटर खोलने के दिए आदेश थे। सीएम ने पक्षियों की मौत के कारणों का पता कर प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद वन विभाग और पशुपालन विभाग के कर्मचारी सहित प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आ गए हैं। वहीं वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा, जयपुर कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने सांभर झील पर पहुंच कर मौका मुआयना कर वन विभाग व पशुपालन विभाग के अधिकारियों अब तक पक्षियों की मौत रोकने के लिए किए गए उपायों की समीक्षा की। इसके अलावा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ, सालिम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र के कोयबतूर स्थित इको-टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट के मुखिया डॉ. मुरलीधरन को भी बुलाया गया है। तो केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन कोयबटूर में कायज़्रत सैकोन नामक वैज्ञानिक अध्ययन की संस्थान से तीन टौक्सीकोलोजिस्ट जहर विशेषज्ञ और देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से भी दो वैज्ञानिक सांभर पहुंच गए हैं।