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Handicapped: दिव्यांगजनों की यात्रा को आसान बना सकती है एआई और मशीन लर्निंग

यह दिव्यांगों ( handicapped ) के साथ भेदभाव है कि उन्हें मूलभूत सुविधाओं ( basic facilities ) तक भी पहुंच हासिल नहीं हो पाती। हाल में चेन्नई एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के नाम पर प्रख्यात नृत्यांगना और अभिनेत्री सुधाचंद्रन को अपना कृत्रिम पांव ( prosthetic leg ) उतारने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया।

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Handicapped: दिव्यांगजनों की यात्रा को आसान बना सकती है एआई और मशीन लर्निंग

Handicapped: दिव्यांगजनों की यात्रा को आसान बना सकती है एआई और मशीन लर्निंग

जयपुर। यह दिव्यांगों के साथ भेदभाव है कि उन्हें मूलभूत सुविधाओं तक भी पहुंच हासिल नहीं हो पाती। हाल में चेन्नई एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के नाम पर प्रख्यात नृत्यांगना और अभिनेत्री सुधाचंद्रन को अपना कृत्रिम पांव उतारने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया। अपने साथ बार-बार होने वाले इस बर्ताव को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद विख्यात भरतनाट्यम नर्तकी को अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों से ऑनलाइन अपार समर्थन मिला। घटना के ठीक बाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दिव्यांगों के लिए हवाई अड्डों और उड़ानों को अधिक सुलभ और आरामदायक बनाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए। नए मसौदे में दिव्यांग यात्री निर्धारित प्रस्थान से 48 घंटे पहले एयरलाइन को अपनी पूरी आवश्यकता के बारे में सूचित कर सकते हैं ताकि आवश्यक व्यवस्थाएं की जा सके। दूसरी ओर, भारत में लगभग 2.68 करोड़ दिव्यांग अपने लिए बुनियादी ढांचे की कमी के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
हाल के मामले के बाद, केंद्र सरकार देश भर में दिव्यांगों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए हवाई अड्डों को सुलभ बनाने की कोशिश कर रही है। कर्मचारियों को उन्नत किस्म का दिव्यांगता जागरूकता प्रशिक्षण लेना होगा, जिसके माध्यम से वे दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता करने के लिए चुनौतियों और तरीकों को समझ पाएंगे। उदाहरण के लिए एआई और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक का उपयोग करके सुविधाएं दी जा सकती हैं, चेक-इन करने से पहले तकनीकी-सक्षम सिस्टम जैसे कि हवाई अड्डे के वातावरण वाले वर्चुअल रियलिटी एक्सपीरियंस से दिव्यांगों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए काम में लिया जा सकता है। पूरी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों को दिव्यांगों के मददगार के रूप में तैयार किया जा सकता है और और दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं पर गहन ध्यान देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
अन्य सुविधाएं जो हवाई अड्डे पर दिव्यांग लोगों के लिए शुरू की जा सकती हैं-
1. दृष्टिबाधित लोगों के लिए और गतिशीलता प्रतिबंध वाले लोगों के लिए पूरी तरह से सुलभ परिसर
2. अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारी जो दिव्यांग यात्रियों की स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हों
3. कृत्रिम अंगों को हटाने के लिए प्रोस्थेटिक्स और प्रशिक्षण वाले लोग उपलब्ध हो
4. महिला यात्रियों विशेषकर गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए महिला कर्मचारी
5. यात्री एयरलाइंस से टिकट बुक करते समय विशेष सहायता का अनुरोध कर सकते हैं
6. यात्री अपनी स्थिति के प्रमाण के रूप में ऑनलाइन बुकिंग के दौरान अपना दिव्यांगता प्रमाण पत्र अपलोड करते हुए एयरलाइंस और हवाई अड्डे को बता सकते हैं कि उन्हें कितनी सहायता की आवश्यकता होगी।
7. दिव्यांगों के सभी प्रश्नों और शिकायतों का उत्तर देने के लिए नामित प्रबंधकीय कर्मचारियों/सुरक्षा अधिकारी के साथ एक टोल-फ्री हेल्पलाइन

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल का कहना है कि दिव्यांगजनों के लिए विशेष व्यवस्था जैसे, व्हीलचेयर, उपकरणों के लिए रस्सा सहायता, सामान सहायता, सुलभ शौचालय, यदि यात्री अकेले यात्रा कर रहा है और उसे निरंतर सहायता की आवश्यकता है तो भत्ते के साथ एक नामित कार्यवाहक कर्मचारी साथ लगाया जा सकता है जो बैटरी से चलने वाले सहायक उपकरण या ऑक्सीजन सिलेंडर आदि ले जाने में मदद करें। साथ ही, दिव्यांगों की सहायता के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों के साथ हवाई अड्डे पर डॉक्टर की उपस्थिति उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
कई बार दिव्यांगों को बैठने की व्यवस्था को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसे हल करने के लिए, गतिशीलता में आसानी के लिए गलियारे की सीटों को आवंटित किया जाना चाहिए। उनकी देखभाल करने वालों को आस-पास की सीटें दी जाएं और सहायक उपकरणों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त स्थान भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
ऑगुमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी या ऐसी ही कोई ओर अत्याधुनिक तकनीक दिव्यांगों की यात्रा तक पहुंच और क्षमता को आसान बना सकती है। सहानुभूति रखने वाले प्रशिक्षित और परिभाषित कर्मचारियों का होना एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। दिव्यांगों को अधिक से अधिक यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करने को लॉयल्टी कार्ड या पॉइंट भी होने चाहिए। उड़ान के दौरान और बाद में चालक दल के सदस्यों द्वारा विशेष ध्यान देने के साथ बोर्डिंग और ऑफ-बोर्डिंग औपचारिकताएं एक बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। कुल मिलाकर, बात यह नहीं है कि दिव्यांगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, बड़ी बात यह है कि उनके लिए यह अनुभव यादगार और बार-बार दोहराए जाने लायक होना चाहिए।