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अजमेर दरगाह विवाद में आया बड़ा अपडेट, कानूनी पेचों में उलझी अंजुमन की याचिका; जानें मामला

Ajmer Dargah Controversy: देशभर में आस्था का प्रमुख केंद्र मानी जाने वाली ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर दरगाह अब कानूनी विवादों में घिरती नजर आ रही है।

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Ajmer Dargah

Ajmer Dargah Controversy: देशभर में आस्था का प्रमुख केंद्र मानी जाने वाली ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर दरगाह अब कानूनी विवादों में घिरती नजर आ रही है। दरगाह की देखरेख करने वाली संस्था 'दरगाह अंजुमन' द्वारा दायर याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने कोई त्वरित राहत देने से इनकार कर दिया है।

इसके साथ ही अजमेर सिविल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से भी इनकार किया है। हालांकि, याचिका खारिज नहीं हुई है जिससे मुस्लिम पक्ष को अभी उम्मीद बनी हुई है।

गौरतलब है कि अजमेर सिविल कोर्ट में अंजुमन की पक्षकार बनने की याचिका पर सुनवाई 19 अप्रैल 2025 को होगी। यदि अंजुमन को पक्षकार बनने की अनुमति मिलती है, तो वह सिविल कोर्ट में सीधे दलीलें रख पाएगी और कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देकर कार्यवाही रोकने की मांग कर सकेगी।

अंजुमन की हाईकोर्ट में अपील

बताते चलें कि दरगाह की प्रबंधन संस्था 'दरगाह अंजुमन' ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर यह तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 'अश्विनी उपाध्याय केस' में स्पष्ट आदेश दिया है कि किसी भी धार्मिक स्थल से जुड़े नए विवादों पर न तो कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए और न ही सर्वे या फैसला लिया जाना चाहिए।

अंजुमन के अधिवक्ताओं आशीष कुमार सिंह और वागीश कुमार सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि अजमेर सिविल कोर्ट का चल रहा ट्रायल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप से मना करते हुए अगली सुनवाई अगले सप्ताह तय की है।

केंद्र सरकार ने कोर्ट में किया विरोध

वहीं, हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए इसे खारिज करने की मांग की। उनका तर्क था कि अंजुमन सिविल कोर्ट में अब तक पक्षकार नहीं है, इसलिए वह हाई कोर्ट में राहत की मांग नहीं कर सकती।

हालांकि, अंजुमन की ओर से बताया गया कि उन्होंने सिविल कोर्ट में खुद को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन दे रखा है और 19 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में उनके अधिवक्ता व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहेंगे।

क्या है दरगाह का पूरा मामला?

दरअसल, साल 2024 में हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर यह दावा किया था कि दरगाह परिसर के नीचे एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। गुप्ता ने अपनी याचिका में एक किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ और दो वर्षों की रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि यह स्थान मूल रूप से एक हिंदू धार्मिक स्थल था।

27 नवंबर 2024 को कोर्ट ने यह याचिका स्वीकार करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), अल्पसंख्यक मंत्रालय और दरगाह समिति को नोटिस जारी किया था। तभी से यह मामला देशव्यापी बहस और कानूनी लड़ाई का केंद्र बन गया है।
अगला कदम क्या होगा?

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