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दिग्गज आइटी कंपनी इंफोसिस पर अमरीका में उम्र-जेंडर व राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव करने के आरोप लगा है और कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। इंफोसिस में प्रतिभा अधिग्रहण की पूर्व उपाध्यक्ष जिल प्रेजीन ने अमरीकी अदालत में मुकदमा दर्ज कराते हुए कहा कि इंफोसिस ने उन पर भारतीय मूल के लोगों, बच्चों वाली महिलाओं और 50 या उससे अधिक उम्र के उम्मीदवारों को नौकरी पर रखने से बचने के लिए कहा था।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के अवैध, भेदभावपूर्ण मापदंडों के आधार पर उम्मीदवारों को स्क्रीन करने से इनकार करने पर उनके साथ भी भेदभाव किया गया और अधिकारियों ने उनपर नियंत्रण करने की कोशिश की।
प्रेजीन ने आरोप लगाया कि अनुपालन न करने पर उन्हें हटाने की धमकी दी गई और काम के प्रतिकूल माहौल के साथ-साथ खुद भी भेदभाव का सामना करना पड़ा। बाद में एक कथित दबाव अभियान के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था।
कोर्ट से इंफोसिस को लगा झटका
यह दूसरी बार है जब भारतीय आइटी कंपनी पर अमरीका में काम पर रखने के तरीकों में भेदभाव के आरोप लगे हैं। न्यूयॉर्क के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इंफोसिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें प्रेजीन की ओर से शत्रुतापूर्ण कार्य वातावरण के लिए दायर मुकदमे को खारिज करने का प्रस्ताव दिया गया था।
इन पर केस: प्रेजीन ने इंफोसिस, पूर्व वरिष्ठ वीपी और परामर्श के प्रमुख मार्क लिविंगस्टन और पूर्व पार्टनर्स डैन अलब्राइट और जेरी कर्ट्ज के खिलाफ केस दायर किया। इंफोसिस ने 2018 में 58 वर्षीय प्रेजीन को कंसल्टिंग डिवीजन में वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया। हार्ड-टू-फाइंड एक्जीक्यूटिव की भर्ती उनका काम था।
Published on:
10 Oct 2022 11:58 pm
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