चिकित्सक बोले, सावधानी बरतें
जयपुर. मौसम में बदलाव व प्रदूषण के कारण अस्थमा- एलर्जी व दमा के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। एलजी व जुकाम के एक जैसे लक्षण होने से कई मरीजों में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। उन्हें पहले जुकाम फिर एलर्जी की दवा लेनी पड़ रही है। दरअसल सितम्बर-अक्टूबर में मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है। एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के सह आचार्य डॉ. विकास. रोहिला ने बताया कि दिवाली से पहले जहां एलजी के मरीज 20 से 30 तक आ रहे थे, वो अब बढक़र 200 तक पहुंच गए हैं। इनमें ज्यादातर मरीजों में आंख, नाक से पानी बहना, छीके आना, गले में खराश, आंखों में जलन, खुजली होना समेत कई लक्षण मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई मरीज एलर्जी और जुकाम में अंतर समझ नहीं पाते हैं। वे जुकाम की एंटीबायोटिक दवाइयां लेते रहते हैं। जिनका उनके शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। मजबूरन उन्हें एलर्जी की ही दवा लेनी पड़ती हैं। ऐसे में बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।
त्वचा पर भी डाल रहा असर
चिकित्सकों के अनुसार सल्फर, कार्बन धुल और धुएं के कण बढऩे से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में इजाफा होता है। इन कणों के सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंचने की बजा से सांसदमा और सी रोगियो की दिक्कत आती है। साथ ही त्वचा संबंधी विकार जैसे ज खुजली रैशेज आदि हो जाते हैं। इनसे ग्रस्त मरीज भी सरकारी व निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।
शादियों के सीजन में सतर्क रहें
टीबी अस्पताल के ह आशीष कुमार सिंह ने ब वर्तमान में प्रदूषण बढऩे से प 400 पार हो गई है। ज्यादातर अस्थमा के मरीज आ रहे हैं। शादियों का सीजन भी शुरू हो है। सडक़ों पर भारी ट्रैफिक रहेगा। जिससे प्रदूषण में सर्दी होने से पुराने रोगी ज्यादा पेट में आएंगे। मरीजों की संख्या और ब?ेगी। अस्थमा के मरीज शाम घर में ही रहें मौसम देखकर ही बाहर निकलें।
यों करे बचाव
एलर्जी के मरीज फूल, धुआं, मिट्टी से बचें। मास्क लगाएं। भीड़ में न जाएं।
मुँह या नाक पर कपड़ा/ रूमाल रखें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। ठंडे खानपान से भी बचें।
जलन होने पर आंखों को ठंडे पानी से धोते रहें।
प्रदूषण के दौरान आंखों पर मेकअप से बचें।
साफ सफाई का खयाल रखें, बाहर से आते ही मुंह धो लें।
(चिकित्सकों के अनुसार)