बाद के वर्षों में कुएं पर हर समय मौसम को सट्टा लगाने वालों की मौजूदगी के कारण इसे सौदे वाला कुआं कहा जाने लगा। सुबह होते ही यहां सटोरियों की भीड़ जुटती है जो शाम तक रहती है। इसके पास खड़े होकर आसमान की गहराई में ताकती सटोरियों की निगाहें मौसम के मिजाज को भांप कर वर्षा होने या नहीं होने, वर्षा के पैमाने के अनुसार नाली चलने या नहीं जैसे सौदे होते हैं।