
जयपुर. वर्ष की प्रमुख अमावस्या में से एक आश्विन मास की अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) बुधवार है। ज्योतिषविदों के मुताबिक पितृपक्ष में दान पुण्य के साथ ही पित्तृों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान का यह अंतिम मौका होगा। लोग गलता सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर आस्था की डुबकी लगाएंगे। वहीं, बुधवार को कंकण सूर्यग्रहण भी रहेगा। हालांकि, भारत में नहीं दिखने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि जिन पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं हैं अथवा किसी कारणवश पितृपक्ष में नियत तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाए हैं, तो ऐसी स्थिति में इस दिन ज्ञात-अज्ञात पितृों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। सर्वपितृ अमावस्या पर देव पितृ कार्य और दान पुण्य सामान्य अमावस्या के अपेक्षा दस गुना अधिक फलदायी होगा।
Updated on:
02 Oct 2024 02:00 pm
Published on:
02 Oct 2024 01:56 pm
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