
Mridul Bhatnagar And Varnali Sharma (Patrika Photo)
जयपुर: राजधानी जयपुर के मृदुल भटनागर और वर्णाली शर्मा ने अपने नवाचार से ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। दोनों ने साल 2018 में एक एंटी-नॉइज पॉल्यूशन डिवाइस विकसित किया था, जिसे अब भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से आधिकारिक पेटेंट मिल गया है।
बता दें कि इस डिवाइस का उद्देश्य शहरी इलाकों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण, खासतौर पर वाहनों के अत्यधिक हॉर्न बजाने की समस्या, को कम करना है। मृदुल भटनागर ने बताया कि यह डिवाइस वाहनों में लगाया जा सकता है और यह हॉर्न की आवाज की आवृत्ति और अवधि को पहचानता है।
यदि कोई चालक तय सीमा से अधिक हॉर्न बजाता है, तो यह डिवाइस स्वतः चालान जारी कर सकता है। खास बात यह है कि जो वाहन चालक हॉर्न का जिम्मेदारी से उपयोग करते हैं, उन्हें यह डिवाइस इनाम भी प्रदान करता है, जिससे सड़क पर सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा मिलता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इस तकनीक की सराहना की है और माना है कि यह देश के कई शहरों में ध्वनि प्रदूषण को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
वर्णाली शर्मा के अनुसार, अगले चरण में वे सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि यदि यह पहल सफल रहती है, तो देशभर में इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है।
यह पेटेंट मिलने से न केवल दोनों युवा वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा है, बल्कि यह भारत में नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक मिसाल भी बन गया है। अब उम्मीद है कि यह डिवाइस सड़कों पर शोर-शराबे को कम करके लोगों को शांत और सुरक्षित वातावरण प्रदान करेगा।
Published on:
15 Aug 2025 09:37 am
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