
नई तकनीक, एक ही पौधे पर आएंगी दो से तीन तरह की सब्जियां,नई तकनीक, एक ही पौधे पर आएंगी दो से तीन तरह की सब्जियां,नई तकनीक, एक ही पौधे पर आएंगी दो से तीन तरह की सब्जियां
जयपुर
Grafting technique : देश में लघु और सीमांत श्रेणी के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है। यानि इन किसानों के पास सीमित भूमि है। लेकिन ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। किसान चाहें तो ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए एक ही पौधे में एक से ज्यादा सब्जियां उगा सकते हैं। ऐसा करने से किसान कम जमीन, कम खाद और कम पानी में न केवल सब्जियों की ज्यादा वैरायटियां उगा सकते हैं, बल्कि ऐसा करने वो सब्जियों का उत्पादन बढ़ाकर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। ग्राफ्टिंग तकनीक में सामान्यतौर पर किसान एक ही पौधे में आलू और टमाटर उगा सकते हैं।
दरअसल, ग्राफ्टिंग तकनीक में एक पौधे में आलू जड़ से उगेगा और टमाटर बेल पर उगेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने एक ही पौधे में आलू और टमाटर लगाने को पोमैटो नाम दिया है। इस तकनीक से खेती कर रहे किसानों को काफी फायदा मिल रहा है। इंडियन हार्टिकल्चर मैग्जीन में ग्राफ्टिंग तकनीक से सब्जियां उगाने संबंधी शोध भी प्रकाशित हुए हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मंडी में पोमैटो की अपार संभावनाएं हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्राफ्टिंग तकनीक में आलू और टमाटर का पौधा उतनी ही पैदावार देता है, जितना एक सामान्य टमाटर या आलू का पौधा देता है। दोनों की एक ही प्रजाति है। किसान आसानी से ग्राफ्टिंग करके एक एक तने में दो पौधे लगा सकते हैं।
विदेशों में काफी लोकप्रिय है ग्राफ्टिंग
जानकारों का कहना है कि आलू, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, हरी मिर्च कई ऐसी सब्जियां हैं, जिन्हें ग्राफ्टिंग के माध्यम से उगाया जा सकता है। इन्हें नकदी फसल माना जाता है। इन फसलों का किसानों की आजीविका सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक ग्राफ्टिंग से पौधा बीमारियों से बच सकता है। फसलों में बैक्टीरियल विल्ट और निमाटोड जैसी बीमारियां किसानों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। अगर इन बीमारियों की रोकथाम समय पर नहीं की जाए तो फसल को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। आपको बता दें कि ग्राफ्टिंग तकनीक जापान, कोरिया, स्पेन, इटली जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है।
नए पौधे को कहते हैं पोमैटो
इस तकनीक से एक ही पौधे पर अगर आलू और टमाटर की पैदावार की जाए तो आपको बता दें कि आलू के पौधे के ऊपर टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग करके एक नया पौधा पोमैटो को तैयार किया जाता है। इस पौधे की खास बात यह होगी कि इसमें मिट्टी के नीचे के हिस्से में आलू और ऊपर के हिस्से में टमाटर पैदा होगा। इसी तरह टोमटाटो में बैगन के पौध पर टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग किए जाने से दोनों सब्जियों का उत्पादन होगा। हालांकि इस तकनीक के इस्तेमाल में इस बात का खासतौर पर ध्यान देना चाहिए कि ग्राफ्टिंग के लिए दोनों पौधे के तने की मोटाई बराबर होनी चाहिए। 20 दिन बाद दोनों का जुड़ाव हो जाने पर उसे रोपा जा सकता है।
Published on:
12 Nov 2019 04:37 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
