आज के भौतिकवाद की तरफ बढ़ते समाज के बीच चन्द्र प्रताप के इन प्रयासों को यथार्थ होने में बेशक कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अन्ततः उनके भरसक प्रयासों का परिणाम आज हमारे बीच बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव के रूप में उपस्थित है। चन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार जिस माटी में हमने जन्म लिया है उसकी विरासत को सहेजना हमारा ही कर्तव्य है। उनके अनुसार इस कार्यभार को प्रगतिशील रूप देने के एक साहित्य महोत्सव का चुनाव एक बेहतरीन विकल्प था जहां हम एक ही पंडाल के भीतर विभीन्न सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों के विद्वानों एवं कलाकारों को एकत्रित कर सकते थे एवं समाज के विभिन्न रूपों, समस्याओं एवं विकास के अनेकों विचारों एवं अग्रिम विकल्पों पर चर्चाएं कर सकते थे। बुंदेलखंड लिटरेरी फेस्टिवल के संस्थापक प्रताप राज ने बताया कि समाज आज बदलाव के लिए उन्मुक्त रूप से अग्रसर है बस आवश्यकता है तो उसे एक दिशा प्रदान करने की। बुन्देलखण्ड साहित्य महोत्सव का गठन भी इसी विचारधारा के तहत किया गया है कि वरिष्ठ विद्वान साहित्यकारों से लेकर आज वर्तमान व आने वाली युवा पीढ़ी के साहित्यकारों एवं कलाप्रेमियों के साथ मिलकर खुले ह्रदय से विभिन्न सामाजिक, मौलिक एवं अनुसंधानिक परिप्रेक्ष्यों पर सामूहिक रूप से विचार-विमर्श किया जाए एवं मानवभाव बुद्धिमत्ताओं का संगठन कर एक बेहतर समाज निर्माण का बीड़ा उठाया जाए।
विगत वर्ष 2020 में प्रारंभ हुए बुंदेलखंड लिटरेचर फेस्टिवल बुंदेलखंड की कला, साहित्य एवं संस्कृति को न महज एक मंच दिया बल्कि उसे देश विदेश तक भी पहुंचाया। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण वर्ष 2021 का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था, लेकिन अब बुन्देलखण्ड में एक बार फिर साहित्य और संस्कृति का मंच आगामी 14 अक्टूबर 2022 से सजने जा रहा है, जिसमें साहित्य और सिनेमा जगत के नामचीन चेहरे शिरकत करेंगे।