
पशुओं के नस्ल सुधार की कवायद, सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना
सड़कों पर घूमते आवारों पशुओं से जल्द ही निजात मिलेगी साथ ही इनकी नस्ल में भी सुधार होगा। प्रदेश के दो जिलों में चल सेक्स सोर्टेड सीमन योजना को विभाग जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू करेगा। दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही इस योजना की सफलता के बाद इसे अब पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि प्राकृतिक गर्भाधान की मांग कम होने के कारण नर गौवंश की उपयोगिता कम हो गई है। इस समस्या के निजात के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना लागू की जाएगी। इसके बाद किसानों को सीमन उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे बछिया पैदा होने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक रहेगी, इसकी कीमत 1000 रुपए प्रति सीमन होगी, लेकिन किसानों को यह 200 रुपए में मिलेगा। बाकी पैसे राज्य सरकार वहन करेगी।
10 करोड़ रुपए का प्रावधान
गौरतलब है कि सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना के लिए सरकार ने बजट में घोषणा की थी और इसके लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया था। सरकार की ओर से फाइल वित्त विभाग को भेज दी गई है। जल्द ही मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि प्रदेश में 2019 की जनगणना अनुसार 1 करोड़ 40 लाख गौवंश है।
इस तरह पैदा होगी बछिया
सामान्य सीमन में एक्स और वाई दोनों ही तरह के क्रोमोसोम को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं। यानी एक ही सीमन सैंपल में कुछ स्पर्म एक्स क्रोमोसोम वाले होते हैं तथा कुछ स्पर्म क्रोमोसोम वाई वाले होते हैं। ऐसे सीमन से एआई करने पर यदि एक्स क्रोमोसोम वाला स्पर्म अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछिया पैदा होती है और यदि वाई क्रोमोसोम वाला क्रोमोसोम अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछड़ा पैदा होता है। सेक्स सोर्टेड सीमन में सिर्फ एक ही तरह के क्रोमोजोम एक्स या वाई को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं। यानी एक सीमन सैंपल में सभी स्पर्म वाई क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं या सभी स्पर्म एक्स क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं या वाई क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से। एक्स करने पर बछिया पैदा होती तथा वाई क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से ए वन करने पर बछड़ा पैदा होता है, इसलिए इस तकनीक के इस्तेमाल से 90 प्रतिशत बछिया ही पैदा होती है।
आपको बता दें कि यह योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जनवरी 2018 में झुंझुनू और दिसंबर 2018 को जोधपुर जिले में की गई थी। जिससे 90 फीसदी बछिया पैदा हुई थी। योजना के तहत सबसे पहले जिलों में चयनित पशु चिकित्सा संस्थाओं और कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान का काम शुरू किया जाएगा।
इनका कहना है,
सेक्स सोर्टेड सीमन से न्यूनतम ९० फीसदी मादा पशु से पैदा होंगे। जिससे अनचाहे नर पशु उत्पन्न होने की संभावना कम होगी। दो जिलों में हमने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सेक्स सोर्टेड सीमन को शुरू किया था। अब इसे पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा।
डॉ. नरेंद्र शर्मा, संयुक्त निदेशक प्रजनन,
पशु पालन विभाग।
Published on:
26 Sept 2020 07:22 pm
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