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Artificial Rain in Ramgarh Dam: दो दशक से अधिक समय से सतही जल से भरने का इंतजार कर रहे जयपुर के रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात करवाने का शिड्यूल तय हो गया है। देश में पहली बार एआइ लैस ड्रोन से रामगढ़ बांध पर लगातार दो माह तक कृत्रिम बरसात का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। रामगढ़ बांध पर 31 जुलाई दोपहर 3 बजे कृत्रिम बरसात करवाने की लॉचिंग होगी।
कम्पनी जेनएक्सएआई के नेतृत्व में एसीसीएल-1 व हाइड्रो ट्रेस प्लेटफार्म के सहयोग से रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात करवाने की तैयारियां की जा रही है। ताइवान से हल्के विमान जैसा ड्रोन मंगवाया गया है। कम्पनी के प्रबंध निदेशक राकेश अग्रवाल ने बताया कि देश में पहली बार ड्रोन से कृत्रिम बरसात के मिशन की शुरूआत 31 जुलाई दोपहर 3 बजे कृषि मंत्री किरोडीलाल मीना के आतिथ्य में होगी।
इस मिशन में भारतीय व यूएस के मौसम वैज्ञानिक एवं उच्च प्रशिक्षित ड्रोन पायलटों की टीम शामिल रहेगी। कम्पनी के निदेशक अजिंक्य डुम्भरे के अनुसार अमरीकी तकनीक से एआई बेस ड्रोन व ऑपरेशनल उपकरण जयपुर पहुंच गए हैं। रामगढ़ बांध पर मिशन में काम लिए जाने वाले उपकरणों के लिए कंट्रोल सैटअप तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में डीजीसीए को अनुमति के लिए पत्र भेजा गया है और एक दो दिन में अनुमति मिलने की संभावना है।
कृत्रिम बरसात में कृषि विभाग के साथ जयपुर जिला प्रशासन, मौसम विभाग, जल संसाधन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा डॉयरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) की अनुमति से सहभागिता रहेगी।
अमरीकन कम्पनी नासा सैटेलाइट व आइएमडी के राडार से बांध क्षेत्र व आस-पास के 10 किलोमीटर परिधि के बादलों की हलचल ट्रैक कर रही है। बांध क्षेत्र में बादलों का कितना व कब-कब दबाव रहता है। बांध क्षेत्र के मिट्टी की जांच भी करवाई गई है। बरसात के दौरान बांध में कितना पानी आएगा। कितना पानी जमीन में जाएगा और सतह पर कितना जल रहेगा। फिलहाल इसका प्रस्तावित आकलन नहीं किया गया है।
ऑपरेशन के तहत रामगढ़ बांध पर बरसात करवाने के लिए 31 जुलाई से 15 दिन तक ड्रोन से ट्रायल किया जाएगा। उसके तहत सभी के तरह के डेटा परीक्षण के बाद कृत्रिम बरसात करवाई जाएगी। बांध क्षेत्र में 4 किलोमीटर ऊंचाई तक प्रतिदिन दो बार ड्रोन उड़ाए जाएंगे। ड्रोन की सटीकता से सोडियम क्लोराइड का छिड़काव कर बादलों से 60 बरसात करवाई जाएगी।
1. आखिर कितनी बारिश करवाई जाएगी यानी अनुमानित मात्रा कितनी होगी?
-कम्पनी अभी आइएमडी राडार व नासा उपग्रह की मदद से बादलों की हलचल ट्रेक कर रही है। फिलहाल बरसात कितनी होगी, इसका खुलासा नहीं किया है।
2. इस बारिश के पीछे उद्देश्य क्या है? क्या इस बारिश से बांध भर सकता है?
-राज्य का बड़ा हिस्सा शुष्क रहता है, बरसात की कमी रहती है। इस मिशन के जरिए प्रयोग कर रही है, ताकि भविष्य में ऐसी कम बरसात वाले क्षेत्रों में कृत्रिम बरसात करवाई जा सके।
3. बांध वर्षों से सूखा है, इस कारण पानी का बना रहना चुनौती है, इससे निपटने के लिए क्या सोचा गया है?
-कृत्रिम बरसात केवल विकल्प है, बांध को स्थायी रूप से भरने के लिए सरकार की रामजल सेतु लिंक परियोजना के तहत इसरदा बांध से पानी लाने की योजना है।
4. जिस दिन कार्यक्रम होगा यानी 31 जुलाई को, तब आसमां में बादल नहीं रहे तो कृत्रिम बारिश कैसे होगी?
-31 जुलाई को कार्यक्रम की लांचिंग है, केवल ट्र्राइल की तौर पर ड्रोन उड़ेंगे। यह बादलों की ट्रेकिंग इत्यादि की ट्राइल 14 अगस्त तक होगी। इसके बाद बरसात करवाई जाएगी।
5. इस बारिश पर कितनी राशि खर्च होगी, यह राशि कौन सा विभाग देगा?
-इस बारिश में सरकार का कोई खर्च नहीं होगा। मिशन पर लगने वाला पूरा खर्च कम्पनी ही वहन करेगी।
6. क्या यह पानी पीने योग्य रहेगा ?
-बिलकुल बादलों का पानी पीने योग्य ही रहेगा। बादलों में सोडियम क्लोराइड का छिड़काव डेढ़ से 2 लीटर का ही होगा।
7. बारिश कैचमेंट एरिया में करवाई जाएगी, जहां पहले से ही अतिक्रमण से है...इसी वजह से अब तक पानी बांध में नहीं पहुंच सका है, बिना अतिक्रमण हटाए यह बारिश कितनी प्रभावी होगी।
-कृत्रिम बरसात का उद्देश्य मिशन के सफल प्रयोग का है, बांध क्षेत्र में ज्यादा बरसात हुई तो पानी बांध तक पहुंचने की उम्मीद है।
8. बांध से गाद या सिल्ट निकाले बिना यह बारिश कितनी प्रभावी होगी।
-मिशन के प्रयोग से बरसात कितनी होगी, यह कम्पनी ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है।
Published on:
25 Jul 2025 07:35 am
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