
धड़ल्ले से बन रही पीओपी की मूर्तियां, प्रशासन बेफिक्र
जयपुर. गणेश चतुर्थी को करीब डेढ माह बाकि हैं, लेकिन शहर में गणपति की मूर्तियां बड़े पैमाने पर तैयार होना शुरू हो चुकी हैं। खास बात यह है कि इस बार भी नियमों को ताक पर रख मूर्तियां बनाने में प्रतिबंधित प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। शहर के जेडीए सर्किल, जेएलएन मार्ग, चौमू सर्किल सीस्कीम, शांतिपथ जवाहरनगर, डीसीएम अजमेर रोड सहित कई जगह पीओपी से मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) पीओपी के इस्तेमाल पर 2003 में ही प्रतिबंध लगा चुका है। इसके बावजूद नियम विरुद्ध गतिविविधियों पर प्रशासन अब तक आंखे मूंदे हुए है।
पीओपी का इस्तेमाल रोकना इसलिए जरूरी
- प्लास्टर ऑफ पेरिस सस्ता होने के साथ आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
- पीओपी जब पानी में मिक्स होता है तो यह मुलायम, सफेद, चिपचिपे जिप्सम में बदल जाता है।
- ठोस होने के कारण ये पानी में देरी से घुलता है।
- इसके पार्टिकल्स करीब 17 साल तक पानी में डिकम्पोज होते हो पाते हैं और पानी में तैरते रहते हैं।
- पीओपी में जिप्सम, सल्फर, फॉस्फोरस और मैग्निशियम होने से यह पानी को विषैला बनाता है।
- प्रतिमाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनिक रंग में मरकरी, लेड, कैडियम और कार्बन होने से पानी में एसिड बन जाता है।
यह है नियम
- मूर्तियों का निर्माण परंपरागत चिकनी मिट्टी से हो
-पीओपी या किसी रसायनिक वस्तु का उपयोग न हो
-प्राकृतिक व गैर विषाक्त रंग ही काम में लिए जाएं
- मिट्टी की मूर्तियों की बिक्री की ही अनुमति
-विसर्जन में पूजन सामग्री, सजावटी सामान, बांस, रस्सी, प्लास्टिक, वस्त्र आदि अलग कर अपशिष्ट अधिनियम के तहत निपटाया जाए।
क्या है गाइड लाइन में
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मूर्तियों के बनाने से लेकर विसर्जन तक की गाइड लाइन पहले से तय है। जिसके अनुसार देवी-देवताओं की पूजा के लिए सिर्फ प्राकृतिक वस्तु दूध, दही, घी, नारियल, पान के पत्ते व नदियों के पानी का उपयोग किया जाए।
हर त्योहारी अवसर पर आमजन को जागरूक करने के लिए प्रशासन व अन्य लोकल अथॉरिटी को पीओपी के इस्तेमाल रोकने के लिए सचेत किया जाता है।
राजकुमार शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
वर्जन-
हर साल त्योहारी सीजन से पहले संबंधित विभागों के जरिए पर्यावरण को लेकर आमजन को सचेत और जागरूक किया जाता है। इस बार भी ऐसा किया जाएगा। यदि प्रतिबंधित पीओपी का इस्तेमाल मूर्तियां तैयार करने में हो रहा है तो संबंधित विभाग के जरिए इस ऐस क्रिया कलापों पर कार्रवाई की जाएगी। राजेश कुमार ग्रोवर, सचिव, पर्यावरण विभाग
शहर में यदि प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्ति बनाई जा रही है तो एनजीटी की गाइडलाइन को ध्यान में रख नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। रवि जैन, आयुक्त, नगर निगम
Published on:
19 Jul 2018 08:44 pm
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