
Mob linching मॉब लिंचिंग पर पीड़ित की मौत तो आजीवन कारावास
मॉब लिंचिंग करने वाले और इन घटनाओं में सहयोग करने वाले लोगों को आजीवन करावास और पांच लाख के अर्थदंड की सजा मिल सकती है। इसे गैरजमानती, संज्ञेय अपराध बनाया गया है। मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाया है। इस विधेयक को मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया। पांच अगस्त को इस विधेयक पर चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा।
बिल में सरकार ने कई कड़े प्रावधान किए हैं। पीड़ित की मौत होने पर आजीवन करावास और पांच लाख के अर्थदंड की सजा का प्रावधान किया गया है। पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा। लिचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। लिंचिंग में लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है। मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे उपर का पुलिस अफसर ही करेगा, इससे नीचे के स्तर का अफसर जांच नहीं कर सकेगा।
गिरफ्तारी से बचाने पर भी सजा
लिंचिंग के दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया है। लिंचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया है। मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया है, इस प्रावधान की वजह से लिंचिंग की घटनाओं की रिपोर्टिंग में भी बाधाएं आएंगी, हालांकि विधेयक के नियम बनने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस प्रावधान के दायरे में में घटना की रिपोर्टिंग करने वालों को लिया जाता है या नहीं।
अदालत जाने की बाध्यता से मिलेगी छूट
मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी। गवाहों की पहचान गुप्त रखाी जाएगी। पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी। 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाने का प्रावधान भी होगा। मॉब लिंचिंग पर कानून बनने के बाद सरकार इसके नियम बनाएगी, इस कानून के लागू होने के बाद भीड़ की हिंसा पर जरूर नियंत्रण होगा।
मॉब लिंचिंग में सरकार ने किए ये प्रावधान
—लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक का अफसर होगा राज्य समन्वयक
—हर एसपी लिचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा
—जिला मजिस्ट्रेट लिंचिंग की आशंका पर किसी आयोजन को आदेश जारी करके रोक सकेंगे
—पीड़ित की मौत होने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माना
—मॉब लिचिंग के लिए उकसाने वाले वीडियो या मैसेज वायरल करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे
—पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना
—पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना
—किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वहीं सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है
—दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने वालों पर भी 5 साल तक की सजा
—मामल में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक जुर्माना
—घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित—प्रसारित करने पर एक से तीन साल की सजा, 50 हजार का जुर्माना
—मॉब लिंचिंग को गैरजमानती, संज्ञेय अपराध बनाया गया
—इंस्पेक्टर स्तर का पुलिस अफसर ही करेगा जांच
—मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से मिलेगी छूट
—गवाहों की पहचान गुप्त रखी जाएगी
—पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी
—50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर
Updated on:
30 Jul 2019 06:20 pm
Published on:
30 Jul 2019 06:08 pm
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