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500 से अधिक निजी स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने का प्रयास

राज्य में 500 से अधिक निजी स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने का प्रयाससर्वाधिक 161 स्कूल जयपुर मेंनिदेशालय ने दिए 8 जिला शिक्षा अधिकारियों को नोटिसजयपुर, बीकानेर,जोधपुर, सीकर, झुंझुनूं, अलवर, चूरू और नागौर के जिला शिक्षा अधिकारी शामिल

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Jul 05, 2021


जयपुर, 5 जुलाई
राज्य में पांच सौ से अधिक प्राइवेट स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने के मामले में शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) ने आठ जिला शिक्षा अधिकारियों (District Education Officers) को भूमिका संदिग्ध मानते हुए उन्हें नोटिस (Notice) दिए गए हैं। इनमें जयपुर, बीकानेर,जोधपुर, सीकर, झुंझुनूं, अलवर, चूरू और नागौर के जिला शिक्षा अधिकारी शामिल हैं। इनके अलावा कुछ अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) को है। जिनकी जांच की जा रही है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी (Director of Secondary Education Saurabh Swamy) ने बताया कि आठ डीईओ को नोटिस जारी किए गए हैं। जवाब आने के बाद तथ्यों के साथ मिलान किया जाएगा। अगर दोषी होंगे तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (Directorate of Secondary Education) ने पहली बार मान्यता के कागजातों की जांच इस तरह की है। फिलहाल ये तय नहीं है कि इन स्कूलों पर आगे कोई कार्रवाई होगी या नहीं।

कहां कितने स्कूल
स्वामी ने बताया कि निदेशालय की जांच में करीब पांच सौ स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने की कोशिश की गई। इसमें सर्वाधिक 161 स्कूल जयपुर में हैं। उनका कहना था कि निदेशालय में 328 स्कूलों की फाइल आई थी, जिसमें 161 स्कूल ऐसे थे जिनके मानदंड पूरे नहीं थे। बीकानेर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 55 स्कूलों में से 33 में, सीकर में 62 में से 41, अलवर में 107 में से 47,चूरू में 75 में से 57 और नागौर में 83 में से 60 स्कूलों में मानदंड अधूरे थे। इसके बाद भी मान्यता की सिफारिश की गई।
आमतौर पर निजी स्कूलों की मान्यता की फाइल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा होती है।वहां से अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशालय से मान्यता आदेश जारी किए जाते हैं। इस बार पहली बार आवेदन करने वाले स्कूलों की फाइल निदेशालय में मंगवाई गई थी, जहां जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच से पता चला कि जिन विद्यालयों के कमरों के आकार मानदंडों से छोटे हैं, जिनके पास तय वर्ग मीटर में जमीन नहीं है, जिन स्कूल के पास साइंस प्रयोगशाला और खेल मैदान नहीं है, उनकी मान्यता के लिए सिफारिश कर दी गई।