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दिल्ली से जयपुर का किराया 287 रुपए, सिंधी कैम्प से जगतपुरा पहुंचने में लग गए 300 रुपए

एक शहर से दूसरे शहर की दूरी बस से तय करने में लोगों का जितना किराया लग रहा है, उससे अधिक तो सिंधी कैम्प पर बस से उतरने के बाद घर पहुंचने के लिए देना पड़ रहा है

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जयपुर

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Jaya Gupta

Apr 20, 2022

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जया गुप्ता/ जयपुर। एक शहर से दूसरे शहर की दूरी बस से तय करने में लोगों का जितना किराया लग रहा है, उससे अधिक तो सिंधी कैम्प पर बस से उतरने के बाद घर पहुंचने के लिए देना पड़ रहा है। दरअसल, शहर में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा न के बराबर है। ऐसे में सिंधी कैम्प व रेलवे स्टेशन से दूसरे जिलों या राज्यों से आ रहे लोगों को बस-ट्रेन से उतरते ही कैब-ऑटो या ई-रिक्शा ही दिखाई देते हैं। इनके चालक भी यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाफिक किराया वसूल रहे हैं। कई बार तो यह किराया पूरी यात्रा के खर्च से अधिक पहुंच रहा है।

हाल ही में बस से दिल्ली से आए शैलेश श्रीवास्तव ने बताया कि राजस्थान रोडवेज की एक्सप्रेस बस से जयपुर पहुंचने में 287 रुपए लगे, लेकिन सिंधी कैम्प से जगतपुरा में घर तक पहुंचने में ऑटो चालक को तीन सौ रुपए देने पड़ गए। यह स्थिति लगभग हर यात्री के साथ बन रही है।

एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचने में चुकाना पड़ रहा इतना किराया

1. दिल्ली से जयपुर ---- 287 रुपए

2. जोधपुर से जयपुर --- 340 रुपए3. भरतपुर से जयपुर -- 195 रुपए

4. आगरा से जयपुर -- 303 रुपए5. चंडीगढ़ से जयपुर -- 600 रुपए

6. इंदौर से जयपुर -- 570 रुपए

ऑटो-ई-रिक्शा चालक ने मांगी इतनी राशि

राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने सिंधी कैम्प के बाहर से एक ऑटोचालक से पूछा कि जगतपुरा जाना है, कितने रुपए लोगे। इस पर ऑटोचालक 325 रुपए बताए। कुछ देर बहस के बाद 300 रुपए में राजी हुआ। इसके बाद संवाददाता ने ई-रिक्शा चालक से बात की। उसने भी तीन सौ रुपए बताए। संवाददाता ने कहा कि ई-रिक्शा तो बैट्री से चलता है, फिर इतना किराया क्यों। इस पर ई-रिक्शा चालक ने कहा कि किराया तो इतना ही लगेगा, आपको जाना है या नहीं, यह आप देख लो। यहीं स्थिति रेलवे स्टेशन पर देखने को मिली। रेलवे स्टेशन पर ई-रिक्शा और ऑटोचालक यात्रियों से समान दूरी का एक समान किराया ही मांग रहे थे।

परिवहन विभाग ने न किराया तय कर रखा है और न ही रूट

शहर में लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा देने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग और जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड (जेसीटीएसएल) की है। जेसीटीएसएल पूरे शहर में बसें ही नहीं चला पा रहा है। वहीं परिवहन विभाग ऑटो, कैब, ई-रिक्शा और बाइक टैक्सी का सही संचालन नहीं करवा पा रहा है। परिवहन विभाग न तो इनके लिए किराया तय कर रखा है और न ही रूट तय कर रखे हैं। इसका फायदा ऑटो, कैब, ई-रिक्शा और बाइक टैक्सी चालक उठा रहे हैं। इनमें से किसी भी साधन का चालक मीटर से नहीं चलता। सभी मनमर्जी से यात्रियों से किराया वसूल रहे हैं।