तीन बार एक सवाल, जवाब नहीं जनजाति क्षेत्रों में आश्रम छात्रावासों के एनजीओ के जरिए संचालन के सवाल पर बामनिया ने कहा कि छात्रावासों में 7-7 महीने से रसाइयों को भुगतान नहीं हो रहा था। उदयपुर की स्वच्छ संस्था को सिर्फ कार्य व्यवस्था का जिम्मा दिया गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कुछ शिकायतों पर स्वच्छ संस्था से संबंधित दस्तावेज चाहे थे, जो दे दिए गए हैं। इस पर मुरारी लाल ने कहा कि जिसकी जांच एसीबी में चल रही है, उसे जिम्मा क्यों दिया गया। क्या दस्तावेज एसीबी को दिए हैं, यह सरकार बताए। इस पर बामनिया ने कहा कि छात्रावास की देखरेख का जिम्मा दिया है। मुरारी लाल ने फिर एसीबी जांच का सवाल पूछा तो फिर से बामनिया ने फिर से कहा कि …सुपरविजन का काम दिया है। इस पर आसन ने तल्ख लहजे में मंत्री को कहा कि आप खुद मान रहे हैं कि एनजीओ के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत है। सदस्य पूछ रहे हैं कि फिर उसी को क्यों जिम्मा दिया? आसन के लगातार दो बार बात दोहराने के बावजूद बामनिया संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और सिर्फ इतना बोले कि दुबारा दिखवा लेंगे।
रेशनलाइज कर भेजें शिक्षक अनूपगढ़ के सेठ बिहारी लाल छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय मेें रिक्त पदों के सवाल पर उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने जबाव दिया तो नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने सवाल उठाया कि कॉलेज में शिक्षकों के 10 में पांच ही पद भरे हैं। अशैक्षणिक कर्मचारियों में भी 11 में सिर्फ 2 ही कार्यरत हैं। सात लोगों से कैसे कॉलेज चलेगा। क्या हम सरकारी कॉलेजों को कमजोर कर निजी संस्थाओं को बढ़ावा देना चाह रहे हैं। इस पर मंत्री ने भर्तियां प्रकियाधीन होने की बात कही तो विधानसभाध्यक्ष जोशी ने कहा कि मंत्री इस बारे में सोचें। उपलब्ध शिक्षकों को ‘रेशनलाइज’ करें। जहां अधिक शिक्षक हैं, वहां से उन कॉलेजों में भेजें, जहां एक भी शिक्षक नहीं है।
मुख्यमंत्री मौजूद, मंत्री आए लेट विधायी कार्य में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रश्रकाल के दौरान सदन में बुधवार को अजीब स्थिति दिखाई दी। समय की पाबंदी दिखाते हुए स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रश्रकाल शुरू होते ही सदन में आ गए। लेकिन उनके आस-पास अधिकतर मंत्रियों की सीटें खाली ही रहीं। इसके बाद धीरे-धीरे मंत्री कार्यवाही के बीच में अपनी सीटों पर आकर बैठने लगे। इस बीच, करीब आधे घंटे का प्रश्रकाल बीत चुका था।