
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, फोटो सोर्स- ANI
Rajasthan Politics: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की सरकार दबाव में काम कर रही है और सभी फैसले दिल्ली या नागपुर (RSS मुख्यालय) से लिए जा रहे हैं। गहलोत ने यह भी दावा किया कि खुद मुख्यमंत्री को यह पूछना पड़ता है कि 'उनके सुझाए गए नाम सूची में शामिल हुए या नहीं', जो दर्शाता है कि मुख्यमंत्री की भूमिका सीमित कर दी गई है।
इस दौरान अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी हो रही है और मुख्यमंत्री की बात तक नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज सरकार पूरी तरह से दबाव में है। सारे फैसले दिल्ली या जयपुर RSS मुख्यालय से आ रहे हैं। मुख्यमंत्री को सूची देखकर पूछना पड़ता है कि जो नाम हमने दिए थे, वो हैं भी या नहीं? यह सत्ता की गरिमा और लोकतंत्र का अपमान है।
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीकानेर दौरे का स्वागत करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सभी दलों ने सरकार का साथ दिया, क्योंकि यह देशहित में लिया गया कदम था। लेकिन उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अचानक किए गए सीजफायर के ऐलान और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश को लेकर केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए।
गहलोत ने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है। किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। ट्रंप का ट्वीट जबरन 'पंचायती' जैसा था, सरकार को इसमें स्पष्टता दिखानी चाहिए थी।
गहलोत ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की सरकार से जुड़ी भूमिका पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि थरूर योग्य नेता हैं, लेकिन सरकार को प्रस्ताव देने से पहले कांग्रेस नेतृत्व से संवाद करना चाहिए था। अगर उन्हें कोई प्रस्ताव मिला था, तो थरूर को पहले कांग्रेस अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष से बात करनी चाहिए थी। यह संसदीय परंपराओं और सम्मान का विषय है।
गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जान से मारने की मिल रही धमकियों पर भी चिंता जताई और कहा कि जब मुख्यमंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों का क्या होगा? उन्होंने पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए और कहा कि इस तरह की घटनाएं पब्लिक डोमेन में लाई जानी चाहिए।
पूर्व सीएम ने बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा kf जब डोटासरा को मीडिया रिपोर्ट के आधार पर बिना एजेंडा के निलंबित कर दिया गया, तब कंवरलाल को सजा के बावजूद अब तक बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? लगता है जैसे राज्यपाल और स्पीकर किसी को बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्पीकर का व्यवहार निष्पक्ष होना चाहिए, लेकिन वे आज RSS विचारधारा से प्रेरित हैं।
Updated on:
19 May 2025 03:19 pm
Published on:
19 May 2025 03:17 pm
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