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इस बार फिर यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, भाजपा-कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती

राज्य में भरतपुर संभाग के मतदाताओं की नब्ज टटोलना राजनीतिक दलों के लिए हमेशा से काफी मुश्किल रहा है। भरतपुर संभाग में चुनाव परिणाम चौंकाते रहे हैं।

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इलेक्शन डेस्क
जयपुर. राज्य में भरतपुर संभाग के मतदाताओं की नब्ज टटोलना राजनीतिक दलों के लिए हमेशा से काफी मुश्किल रहा है। भरतपुर संभाग में चुनाव परिणाम चौंकाते रहे हैं। यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा के अलावा अन्य दलों को भी महत्व दिया है। इस संभाग में राष्ट्रीय लोकदल और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी भी जीतते रहे हैं। भरतपुर राजस्थान का प्रवेश द्वार है। यह उत्तरप्रदेश की सीमा से लगता है, लिहाजा यूपी की राजनीति भी यहां अपना असर दिखाती है। यहां सीटों पर सपा भी चुनाव लड़ती आई है। भरतपुर और करौली जिले बृज क्षेत्र से जुड़े हैं। इस बार फिर भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी मजबूती से ताल ठोकने की तैयारी में नजर आ रहे हैं। पिछले चुनाव में संभाग की 19 में से भाजपा सिर्फ एक सीट से अपना खाता ही खोल पाई थी।

ईआरसीपी भी बड़ा मुद्दा

भाजपा के लिए इस संभाग में सियासी डगर कठिन रही है। इस समय पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) भी यहां बड़ा मुद्दा है और यहां की सियासत इसके इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। कांग्रेस इस मुद्दे को हवा दे रही है। वहीं, भाजपा की परिवर्तन यात्रा इस संभाग में गत 2 सितम्बर से शुरू हो चुकी है। भाजपा इसके माध्यम से संभाग की सभी विधानसभा सीटों के मतदाताओं से संपर्क साधने का प्रयास कर रही है।

एक दूसरे को शिकस्त देने की कवायद

इस बार के चुनाव में कांग्रेस के सामने पुरानी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो भाजपा के लिए यहां जनाधार बढ़ाने की चुनौती है। इसी के चलते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का दौरा भी इस संभाग में हो चुका है। कांग्रेस यहां सीटों को बचाए रखने के लिए बेहतर प्रत्याशी चयन पर मशक्कत कर रही है। पिछले 2018 के चुनाव में भरतपुर संभाग में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी शिकस्त दी थी।

दो नए जिले बने

अब भरतपुर जिले के डीग उपखंड को नया जिला बना दिया गया है। वहीं, सवाईमाधोपुर में गंगापुरसिटी नया जिला बना है। इस तरह अब भरतपुर संभाग में जिलों की संख्या चार से बढ़कर छह हो गई है। ऐसे में कांग्रेस इसका श्रेय लेकर भी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है।

जब जिले में एक सीट भी नहीं मिली

विधानसभा चुनाव 2008 में तो सवाईमाधोपुर जिले की 4 में से 3 कांग्रेस और एक सीट बसपा को मिली। इस चुनाव में भाजपा का सवाईमाधोपुर जिले में खाता नहीं खुल पाया। इसी तरह विधानसभा चुनाव 2003 में धौलपुर जिले की तीनों सीटें कांग्रेस को मिलीं। वहीं, करौली जिले की 4 में से 2 भाजपा और 2 सीट अन्य दलों को मिलीं।