
बढ़ती उम्र के साथ जरुरी टीका लगवाना हर बच्चे का अधिकार है। लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र पर आने वाले मासूमों को इस टीकाकरण से वंचित होना पड़ रहा है। उन्हें टीका लगवाने के लिए कभी चिकित्सा विभाग तो कभी आंगनबाड़ी केंद्र के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। मासूमों के इस भटकाव की सबसे बड़ी वजह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा इन बच्चों को टीकाकरण करने में रुचि नहीं लेना सामने आया है। जब महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अफसरों ने फील्ड विजिट की और इंद्रधनुष अभियान का निरीक्षण किया तब इस बात का खुलासा हुआ कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में ये धारणा है कि टीकाकरण कार्यक्रम चिकित्सा विभाग से जुड़ी योजना है। जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानना है कि टीकाकरण करना चिकित्सा विभाग का काम है। जिसे जबरन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से करवाया जा रहा है। इस एवज में ना तो उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जा रही है और ना ही मानदेय बढ़ाया गया है। ऐसे में उनके साथ दोनों विभाग ही अन्याय कर रहे है।
विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है और इस धारणा को तर्क संगत नहीं बताते हुए उस संयुक्त गाइड लाइन का हवाला दिया है जो चिकित्सा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों के लिए समान रुप से जारी की गई है। विभाग की मानें तो फील्ड एवं मिशन इंद्रधनुष के निरीक्षण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की इस गलत धारणा का पता चला। इसके बाद सभी डिप्टी डायरेक्टर्स को पत्र जारी कर इस गफलत को दूर करने के निर्देश जारी किए गए। साथ ही उन्हें ये भी बताया गया कि विभाग की छह प्रमुख सेवाओं में टीकाकरण एक प्रमुख घटक है। और सभी फील्ड कार्यकर्ताओं जिसमें आशा सहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं शामिल है इनके माध्यम से ही टीकाकरण किया जाएगा। विभाग की निदेशक शुचि शर्मा ने सभी जिलों में इस गलत धारणा को खत्म करने और टीकाकरण समय पर सुनिश्चित कराने के निर्देश जारी किए है।
संयुक्त गाइड लाइन में ये है प्रावधान—
टीकाकरण के लिए परिवार को जागरुक करना , सभी सीडीपीओ चिकित्सा अधिकारी से माइक्रो प्लान लेंगे , टीकाकरण रिकॉर्ड को अपडेट करना , निरीक्षण के दौरान ड्यूटी लिस्ट व सर्वे रजिस्टर की जांच करना
फैक्ट फाइल—
प्रदेश में है तकरीबन 62 हजार केंद्र , लगभग सवा लाख बच्चे आते है इन केंद्रों पर , एक केंद्र पर है 15 से 20 बच्चे पंजीकृत
इनका कहना है—
टीकाकरण की योजना चिकित्सा विभाग की है लेकिन पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्र है। महिला एवं बाल विकास विभाग का नेटवर्क बड़ा है इसीलिए कार्यकर्ताओं पर ये जिम्मेदारी थौप दी गई है। लेकिन इस एवज में उन्हें अतिरिक्त पैसा नहीं दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं पर वर्कलोड बढ़ा दिया गया। इस काम की एवज में मानदेय बढ़ाना चाहिए। छोटेलाल बुनकर, प्रभारी अखिल राज. महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ
Published on:
23 Oct 2017 01:32 pm
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