
Jaipur News: आदर्श नगर में पानी की लाइनों में लीकेज पता करने के लिए स्थापित लीकेज डिटेक्शन सेंटर जलदाय इंजीनियरों की विदेश यात्राओं का लुत्फ लेने का जरिया बन गया है।
हाल यह है कि वर्ष 2017 से 2021 तक इंजीनियरों ने लीकेज डिटेक्शन की तकनीक सीखने के नाम पर छह बार विदेश की सैर कर ली। अब इस लीकेज डिटेक्शन सेंटर की स्थिति यह है बीते तीन साल में इसे जलदाय इंजीनियरों ने देखा तक नहीं और सेंटर पर घास और जंगली बेल छा गई है। उधर, शहर में हाल ये है कि बीसलपुर सिस्टम से शहर में जितना पानी सप्लाई होता है, उसका 15 प्रतिशत यानि 5 से 7 करोड़ लीटर तो लीकेज के कारण व्यर्थ बह जाता है।
जानकारी के अनुसार, पानी की लाइनों में लीकेज रोक पानी को बर्बाद होने से बचाने की तकनीक सीखने के लिए लीकेज डिटेक्शन के नाम पर जलदाय इंजीनियरों ने 2017 से 2021 तक दो बार ऑस्ट्रेलिया, दो बार डेनमार्क और एक बार जापान की यात्रा की।
सरकार ने भी इन यात्राओं की अनुमति इसलिए दी जिससे करोडों रुपए खर्च कर जयपुर लाए जा रहे बीसलपुर के पानी को लीकेज के जरिए बर्बाद होने से रोका जा सके। चौंकाने वाली बात यह है कि 3 साल से यहां लीकेज डिटेक्शन की एक भी ट्रेनिंग नहीं हुई है।
मंगलवार को पत्रिका ने आदर्श नगर पहुंच कर लीकेज डिटेक्शन ट्रेनिंग सेंटर का जायजा लिया। यहां लीकेज डिटेक्शन की ट्रेनिंग देने के लिए लगाई गई मशीनों के आस-पास घास उगी थी और कई मशीनें तो घास और जंगली बेलों की ओट के कारण दिख ही नहीं रही थीं। किसी को पता नहीं चले इसके लिए जलदाय इंजीनियरों ने सेंटर के चारों ओर ऊंची दीवार भी करा दी है। वहीं लीकेज पता करने के लिए डिविजनों में दिए गए करोड़ों रुपए के उपकरणों का भी कोई अता-पता नहीं है।
Updated on:
23 Oct 2024 02:50 pm
Published on:
18 Sept 2024 09:53 am
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