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Bisalpur dam बांध फिर छलके.. इससे पहले जानिए बांध का हर पहलू ! VIDEO

Bisalpur dam बांध फिर छलके.. इससे पहले जानिए बांध का हर पहलू ! VIDEO

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Bisalpur dam जो हमेशां सुर्खियों में बना रहता है। क्या आप जानते हैं ये बांध कब बना। कितनी लागत इसे बनाने पर आई। कितने गेट इस बांध में हैं। बहुत से लोगों को शायद ये जानकारी ना हो। तो चलिए आज आपको बताते हैं राजस्थान के बड़े बांधों में शुमार बीसलपुर बांध से जुड़े कुछ खास तथ्य।

बीसलपुर बांध परियोजना का शिलान्यास 1985 में

बीसलपुर बांध परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने 1985 में किया था। इसका निर्माण 1987 में शुरू हुआ था। बीसलपुर बांध 1996 में बनकर तैयार हुआ था। बांध के निर्माण में कुल 832 करोड़ रुपए की लागत आई थी। बीसलपुर बांध के पूर्ण जलभराव या 75 फीसदी भरने पर 16.2 टीएमसी पानी पेयजल व 8 टीएमसी पानी की सिंचाई के लिए आरक्षित रखा गया । वही 8.2 टीएमसी पानी वाष्पीकरण व अन्य खर्च में माना जाता है। बांध निर्माम का मुख्य उद्देश्य जयपुर, अजमेर व टोंक जिलों में जलापूर्ति करना है। वही शेष पानी से टोंक जिले में सिंचाई कार्य करना होता है।

बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट

आपको बता दें कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के साथ अजमेर और टोंक आदि को जलापूर्ति करने वाले बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट हैं। इनमें से प्रत्येक गेट 15 ×14 मीटर की साइज का। बांध की कुल लम्बाई 576 मीटर बताई जाती है जबकि समुद्रतल से इसकी उंचाई 322.50 मीटर बताई जाती है। बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किलोमीटर है । बांध के डूब क्षेत्र में कुल 68 गांव आते हैं। जिसमें 25 गांव पूर्ण रूप से और 43 गांव आंशिक रूप से डूब जाते हैं। बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूरा हुआ था। दायीं नहर की लंबाई 51 किलोमीटर बताई जाती है जबकि बायीं नहर की लंबाई 18.65 किलोमीटर। इनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है। इस बांध को भरने में सहायक त्रिवेणी की बड़ी भूमिका होती है।

त्रिवेणी की तीन प्रमुख नदियों का आता है पानी

बांध के केचमेंट एरिया में हुई बारिश का पानी त्रिवेणी की तीन प्रमुख नदियों के माध्यम से ही बांध में पहुंचता है। बांध के गेट खोलकर जब पानी निकासी शुरू की जाती है तो पहले हूटर बजाकर बनास के नजदीक रहने वाले लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है।
राजमहल, टोंक से राजस्थान पत्रिका के लिए बनवारी वर्मा की रिपोर्ट