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घनश्याम तिवाड़ी के इस्तीफे के बाद बोले पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष, इस कदम से पार्टी को होगा फायदा…

मंत्री अनिता भदेल ने की प्रेसवार्ता, कहा, उठाया एहसानफरामोशी वाला कदम  

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जयपुर

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Nidhi Mishra

Jun 25, 2018

BJP leader Ghanshyam Tiwadis resignation benefit for party- Parnami

BJP leader Ghanshyam Tiwadis resignation benefit for party- Parnami

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर व सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का बड़ा बयान सामने आया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने तिवाड़ी के इस कदम पर कहा कि उनके इस फैसले से पार्टी को फायदा ही होगा। उनके पार्टी छोड़ कर चले जाने का आगामी चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आपको बता दें कि घश्याम तिवाड़ी पार्टी से काफी लम्बे समय से नाराज चल रहे थे। उधर, तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी को केंद्रीय निर्वाचन आयोग से हरी झंडी भी मिल चुकी है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने भारत वाहिनी पार्टी का बुधवार को विधिवत रूप से पंजीयन कर दिया था। घनश्याम तिवाड़ी की इस नई पार्टी के पंजीयन ने राजस्थान में एक नई राजनीति के उभरने की संभावनाओं को खड़ा कर दिया है। घनश्याम तिवाड़ी के बेटे अखिलेश तिवाड़ी भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष व संस्थापक हैं।


तिवाड़ी ने उठाया एहसान फरामोशी वाला कदम
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि भाजपा ही आगे आने वाले चुनाव जीतेगी। कोई कितनेे ही सपने देख ले। उनके सपने पूरे नहीं होंगे। जिनके लिए पार्टी ने सब कुछ किया, वह अब पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। यह तो उनका एहसान फरामोशी वाला कदम है। घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी छोड़ी, यह उनके विचार हैं। उनको लगता है कि दूसरी पार्टी बना कर आगे बढ़ सकते हैं। अब देखना है कि वे कितना आगे बढ़ेंगे।


खेलों को राजनीति से जोड़ रही कांग्रेस
भाजपा प्रदेश कार्यालय में सुनवाई के बाद अनिता भदेल ने सोमवार को पत्रकारों से यह बात कही। अजमेर में बास्केट बॉल प्रतियोगिता में जाति पूछने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जानकारी के लिए कर रहे हैं। स्कूलों में भी तो एेसे सवाल होते हैं, तब भी तो कोई सवाल नहीं करता। खेलों को राजनीति से जोडऩे का काम कांग्रेस कर रही है। हम नहीं करते। राज्यसभा सांसद मदन लाल सैनी ने घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी छोडऩे के मामले में कहा कि तिवाड़ी का यह व्यक्तिगत निर्णय है। यह उनका निर्णय है कि वो किस दल में रहे और किस दल में नहीं रहे। लोकतंत्र में उनको पूरी स्वतंत्रता है। जहां तक विचारधारा का सवाल है, विचार तो कोई एेसा घड़ा नहीं जो गिर जाए और टूट जाए। फिर वह विचार रहा ही कहां जो टूट जाए।