
राजस्थानी भाषा को लेकर प्रदेश में लगातार प्रदर्शन और आंदोलन चलते आ रहे है। राज्य सरकार से मारवाड़ी भाषा को राज्यभाषा घोषित करने की मांग दशकों से की जाती रही है। अधिकतर विधायक इस कड़ी में जुड़कर सरकार से इसके लिए लड़ भी रहे है। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कई बार इसकी मांग उठाई। इसी क्रम में जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी विधायक भाटी की मांग का समर्थन किया है।
जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत एक वीडियों में कहते नजर आ रहे है कि 'जब राजस्थान का एक विधायक रविंद्र सिंह भाटी मारवाड़ी भाषा में शपथ लेता है तो जोगेश्वर गर्ग को रोकना पड़ता है और कहना पड़ता है कि हिंदी में शपथ लीजिए। इसका समाधान यदि है तो पहले इसको राजस्थान में राज्यभाषा घोषित करना है।'
उन्होंने आगे कहा कि 'जिसने आरटीआई में यह सूचना दी है कि राज्यभाषा एक्ट राजस्थान में नहीं है, मुझे बताइए उस पर सबसे पहले कार्रवाई की जाएगी। 26 दिसंबर, 1956 में स्पेशल भाषा कानून पारित किया जा चुका है। हिंदी राजस्थान की एकमात्र राज्यभाषा होगी, यह लिखा हुआ है।'
राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का मुद्दा सन् 1944 से चलता आ रहा है। जो पिछले 75 वर्षों से राजस्थान की राजनीति में छाया हुआ है। साल 1992 में पूर्व महाराजा गजसिंह के नेतृत्व में भी बोर्ड क्लब पर धरना हुआ था। उसके बाद वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्री रहे गजेंद्र सिंह शेखावत व अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में भी राजस्थानी भाषा को मान्यता को लेकर एक बड़ा धरना भी दिया गया था। फिलहाल राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है। ऐसे में देखना होगा कि क्या मारवाड़ी भाषा को राज्यभाषा का दर्जा मिलेगा?
Updated on:
06 Aug 2024 12:04 pm
Published on:
06 Aug 2024 12:03 pm
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