
राजस्थान की कानून व्यवस्था पर बोले सुधांशु त्रिवेदी: किसी ने कहा सिर तन से जुदा, राजस्थान में हो गया
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि अब 2023 की लड़ाई राजस्थान के लिए कई मायनों में अहम है। उत्तरप्रदेश और गुजरात में जो जनादेश आया है राजस्थान में भी ऐसा ही संदेश जाएगा। यहां जनता वास्तव में दुखी हो चुकी है। राज्य में जिस हिसाब से कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और हिंदू आस्था पर कुठाराघात किया जा रहा है वैसा पहले कभी नहीं हुआ। जनता राज्य सरकार को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी है। एक दिन के राजस्थान प्रवास पर आए त्रिवेदी ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत की।
सवाल- ये चुनावी साल है, आप 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां सह-प्रभारी थे, इन चार सालों में क्या अंतर नजर आता है?
जवाब- पहले के वर्षों में राजस्थान मेें एक अलग अनुभूति थी। गौरव, शौर्य, वीरता की प्रतीक भूमि है, अब अराजकता, कट्टरता की बदहाली की परिस्थितियां हैं। यहां साम्प्रदायिक तनाव और कट्टरपंथ का कोई स्थान नहीं था, वह चार साल में बढ़ा है। इस देश में नारे लगे सर तन से जुदा और यहां सर तन से जुदा हो गया। उसके बाद पीएफआई की रैली को अनुमति दी गई। उस पार्टी की सरकार है जो दावा गरती है कि गांधी की विरासत की एकमेव कॉपीराइट उनके पास है।
सवाल- इन चार साल में जनता के साथ भाजपा कहां खड़ी नजर आई?
जवाब- भारतीय जनता पार्टी हर मुद्दे पर मुखर रही है। जहां भी कानून व्यवस्था, महिलाओं के अत्याचार, किसानों और बेरोजगारों का मुद्दा था वहां उसे प्रभावी रूप से उठाने में पार्टी सफल रही है।
सवाल- क्या भारतीय जनता पार्टी में सभी नेता एक जाजम पर हैं?
जवाब- यह किसी की कल्पना हो सकती है कि कोई भेद है। सक एकजुट हैं। असल में आज राजस्थान कांग्रेस की स्थिति विचित्र है। जो राष्ट्रीय अध्यक्ष बन रहे थे वो बागी की श्रेणी में आ गए, प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा और विधानसभा अध्यक्ष भी इसी श्रेणी में आए। हाइकमान के लिए यह शब्द कह दिए गए कि एजेंडा लेकर आए हैं। कांग्रेस में कोई एक जाजम पर नहीं है।
सवाल- हाल ही में भारत जोड़ो यात्र यहां से निकली थी, कांग्रेस का माहै कि इस यात्रा से सब एक हो गए?
जवाब- भारत जोड़ो के नाम पर कौन लोग साथ हैं। भारत से दुराव रखने वाले लोग उनके साथ हैं। टुकड़े-टुकड़े गेंग। ये जो भक्ति का दिखावा है उसकी पोल उनके नेता ही खोल रहे हैं, यह भक्ति नहीं बगुला भक्ति है।
सवाल- राज्य में अब सिलेंडर सस्ता किया जा रहा है, कई लोकप्रिय घोषणा की जा रही हैं, इससे चुनाव में कांग्रेस की राह आसान होगी?
जवाब- हुजूर आते आते बहुत देर कर दी। हाथी के दांत कितने खाने के कितने दिखाने? घोषणाएं तो पहले भी हुई थी, कर्जमाफी की, बेरोजगारी भत्ते की, नौकरियों की। उनका क्या हश्र हुआ? विश्वासनियता का जो संकट है कांग्रेस उसका उदाहरण है। जबकि भाजपा प्रामाणिकता की प्रतीक है।
सवाल-- इस साल चुनाव हैं, क्या नए लोगों को युवाओं को मौका मिलेगा?
जवाब- हमारे यहां टिकट का वितरण तो केंद्रीय चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड करता है। पर यह तय है कि हमने सदैव युवा, महिला, पिछड़ों को अभूतपूर्व महत्व दिया है।
Published on:
06 Jan 2023 12:16 pm
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