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इलेक्शन डेस्क/जयपुर. Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव को तैयार राजस्थान धीरे-धीरे राजनीतिक रण के लिए तैयार हो रहा है। तीन महीने बाद होने वाले ‘राजस्थान के रण’ के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। चुनाव में उम्मीदवारों के चयन के लिए राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हैं। प्रदेश में पिछले 30 साल से बाजी एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा के हाथ लगती आई है।
यूं तो हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है, लेकिन इस बार ये कई मायनों में बिलकुल अलग होने जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों आंतरिक गुटबाजी से ग्रस्त हैं तो तीसरे मोर्चे के दल भी अपनी रणनीति को धार देने में जुट गए हैं। सवाल ये कि क्या तीन दशक के राजनीतिक मिथक को तोड़कर कांग्रेस फिर से सत्ता पाने में कामयाब होगी अथवा चार परिवर्तन यात्राओं के जरिए भाजपा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में सफल हो पाएगी। या फिर सत्ता की चाबी छोटे दलों अथवा निर्दलीयों के हाथों में रहेगी। टिकट वितरण की माथापच्ची में जुटे राजनीतिक दलों के सामने दावेदारों को साधना टेढ़ी खीर से कम नहीं है। कांग्रेस योजनाओं के जरिए अपनी चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत लगा रही है, वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर पूरा भरोसा है।
मोदी ने खुद संभाला मोर्चा
विधानसभा चुनाव में अब तीन महीने का समय है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा की तरफ से धुआंधार प्रचार अभियान पहले ही शुरू कर चुके हैं। पिछले चार महीने में नाथद्वारा, अजमेर, बीकानेर और सीकर में सभाएं संबोधित कर चुके हैं। अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पार्टी की चुनाव रैलियों में हिस्सा ले चुके हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले महीने मानगढ़ में हुई कांग्रेस रैली को संबोधित कर चुके हैं। तीन दिन बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं।
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तीसरा मोर्चा तैयार
दोनों प्रमुख दलों को टक्कर देने के लिए तीसरे मोर्चे के दल भी चुनावी रण को रोचक बनाने की तैयारी में जुटे हैं। पिछली बार 6 सीटें जीतने वाली बसपा अंदरखाने तैयारियों में जुटी है तो वहीं तीन सीटें जीतने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी चुनावी गोलबंदी में लगी है। दो सीटें जीतने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी भी कार्यकर्ताओं को संगठित कर चुनिंदा सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
नजदीकी रहा वोटों का अंक गणित
पांच साल पहले हुए चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सबसे नजदीकी लड़ाई रही। वोट प्रतिशत के मामले में दोनों दलों के बीच सिर्फ 0.50 प्रतिशत का अंतर रहा। कांग्रेस को जहां 39.30 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं भाजपा के खाते में 38.77 प्रतिशत वोट आए थे। हालांकि कांग्रेस ने 100 सीटों पर जीत दर्ज की तो भाजपा को केवल 73 सीटें ही मिली।
चुनावी मुद्दे और जीत का आधार
कांग्रेस जहां गहलोत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर सत्ता में वापसी करना चाहती है, वहीं भाजपा कानून व्यवस्था, पेपरलीक को मुद्दा बनाकर मोदी के चेहरे को सामने रखते हुए चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है।
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तीन दशक बारी-बारी
चुनावी वर्ष - कांग्रेस - भाजपा - अन्य
1993 - 76 - 95 - 29
1998 - 153 - 33 - 14
2003 - 56 - 120 - 24
2008 - 96 - 78 - 26
2013 - 21 - 163 - 16
2018 - 100 - 73 - 27
यों बिछ रही चुनावी चौसर...
टिकट वितरण
कांग्रेस - दो बार हारे, 30 हजार से हारने वालों टिकट नहीं देने पर विचार जिताऊ जरूरी, बुजुर्ग नेताओं से भी परहेज नहीं
भाजपा- ज्यादा वोटों से हारने वालों के टिकट काटने पर मंथन युवाओं की भागीदार बढ़ाने पर जोर
जनता के बीच
कांग्रेस - सीएम अशोक गहलोत की 135 विधानसभा क्षेत्र में यात्रा की तैयारी
भाजपा- चार परिवर्तन यात्राओं से मतदाताओं का साधने की कवायद
बूथ रणनीति
कांग्रेस - बूथों को मतबूत बनाने पर जोर
भाजपा- 200 सीटों पर बाहरी राज्यों के विधायक सर्वे में व्यस्त
फाइनल निष्कर्ष
कांग्रेस - जिताऊ पर दांव खेलने को प्राथमिकता
भाजपा- पार्टी की झोली में सीट लाने वाला ही टिकट का पात्र
Published on:
03 Sept 2023 12:16 pm
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