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खेतों में लहलहाने लगा काला सोना

प्रदेश में इस बार 35 हजार काश्तकारों को दिए अफीम खेती के लिए पट्टे

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Black gold started swaying in the fields

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जयपुर
खेतों में इन दिनों काला सोना लहलहाने लगा है। प्रदेश भर में इस बार करीब 35 हजार काश्तकारों को अफीम की खेती के लिए पट्टे दिए गए है। जहां पर किसान अफीम की खेती कर रहे है। राजस्थान में मेवाड़, मालवा और हाड़ौती के खेतों में इन दिनों सफेद फूल ही फूल दिखने लगे है। यह सफेद फूल अफीम के है जहां पर खेतों में उगाए गए अफीम के पौधों पर यह फूल निकल आए है। अभी फूल निकले है। अब कुछ दिन बाद फूलों पर पर डोडे बनने लगेंगे जिसके बाद यह फसल तैयार हो सकेगी। काला सोना कही जाने वाली अफीम फसल को किसान सोने की तरह सहेज कर रखते है। किसानों का कहना है कि फूल के डोडा बनते ही लुनाई-चिराई की तैयारी प्रारंभ कर दी जाएगी।
पट्टे मिलने पर ही होती है खेती
अफीम की खेती हर कोई किसान नहीं कर सकता है। अफीम को खेत में उगाने से पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। जिसमें नारकोटिक्स विभाग से लेकर प्रशासन तक की अनुमति लेनी होती है। इसके बाद खेत की नाप के आधार पर किसानों को पट्टे वितरित किए जाते है। उसी तय स्थान पर किसान खेती कर सकता है। किसान के फसल बोने के बाद केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम खेतों में पट्टों की जांच करती है और उन्हें नापती है। इस बार नारकोटिक्स की 60 टीम प्रदेशभर में खेतों की नपाई करने में जुटी है। यह टीम भीलवाड़ा, कोटा, झालावाड़, चित्ताैड़ सहित कई जिलों में अपना काम पूरा कर चुकी है। खेतों को नापकर टीम के अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने पर ही प्रदेश में कितनी अफीम की खेती होगी इसका लक्ष्य तय हो सकेगा।
ऐसे होती है खेती
खेत में अफीम बोने के दो महीने बाद फूल आ जाते है। यह फूल 15 से 20 दिन में डोडे बन जाते है। फिलहाल खेतों में फसल पर फूल आ चुके है। किसान डोडो में एक बार में 4 चीरे लगाते है। चिरे लगाने से तरल पदार्थ के रूप में निकली अफीम डोडे पर जम जाती है। एक डोडे पर 4 बार (16 चीरे) लगाए जाते है। डोडे पर जमा अफीम को किसान अगले दिन सुबह खुरपे में संग्रहित कर लेते है। यह प्रक्रिया हर बार चिरा लगाने के बाद दोहराई जाती है। किसानों का कहना है कि एक डोडे में अधिकतम 12 ग्राम तक अफीम निकलती है।
तस्करों की भी नजर
अफीम की खेती के साथ ही तस्कर भी सक्रिय हो जाते है। कई इलाकों में खेतों में अवैध रुप से भी इसकी खेती की जाती है। लेकिन पुलिस और नारकोटिक्स की टीम को पता लगने पर वह इस फसल को नष्ट करवा देते है। हाल ही में इस तरह अवैध रुप से मिली फसल को कई जगह से नष्ट करवाया गया है। नारकोटिक्स विभाग की माने तो फसल उगने के साथ ही वह भी अलर्ट मोड पर आ गया है। किसानों को जितना पट्टा है उतनी ही खेती करने की अनुमति है। इसके अतिरिक्त खेती को नष्ट कर दिया जाता है। वहीं तस्करों पर भी पुलिस और प्रशासन की नजर रहती है।