
मुंबई जाती थी, दो महीने में एक बार लाइफ में पैशन और टैलेंट, दोनों जरूरी है। यह भी जरूरी है कि हमारे टैलेंट और पैशन को हमारे पैरेंट्स भी पहचान पाएं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरी फैमिली में किसी का संगीत क्षेत्र से जुड़ाव ना होने के बाद भी मां ने इसे समझा और वो भी संसाधन जुटाए, जिससे म्यूजिक इंडस्ट्री में मैं मुकाम हासिल कर सकूं। म्यूजिक सीखने के लिए बचपन में मैं इंदौर से दो महीने में एक बार मुंबई आती थी। म्यूजिक के साथ जरूरतमंदों की मदद करना मेरा मिशन है। इसमें भी मुझे पैरेंट्स का फुल सपोर्ट मिला
Published on:
27 Oct 2017 09:02 pm
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