जयपुर। तेजी इंटरनेट स्पीड में राजस्थान पिछड़ रहा है। इससे केशलैस इकोनोमी भी गति नहीं पकड़ पा रही है। ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) और मोबाइल टावर लगाने की अनुमति समय पर नहीं मिलने के कारण यह स्थिति बनी है। ऐसे आवेदन की पेडेंसी में राजस्थान देश में दूसरे नम्बर पर आ गया है। यहां 4 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित है। पहले नम्बर पर तमिलनाडू और तीसरे पर महाराष्ट्र है। जबकि, उत्तर भारत के सभी राज्यों में इंटरनेट स्पीड में राजस्थान से बेहतर काम हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने पिछले दिनों मुख्य सचिव को इस संबंध में रिपोर्ट पेश की तो उन्होंने आश्चर्य जताया। डीओटी अधिकारियों ने भी साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन का रिव्यू करेंगे और राजस्थान की स्थिति देखकर ‘फील गुड’ नहीं होगा। ऐसे हालात से निपटने के लिए खुद मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कमान अपने हाथ ले ली है। मुख्य सचिव स्टेट ब्रॉडबैंड कमेटी की चेयरमेन हैं।
तीन राज्य जो पेंडेंस में सबसे ऊपर
तमिलनाडू- 9000
राजस्थान- 4000
महाराष्ट्र- 1700
(इसमें ओएफसी व मोबाइल टावर दोनों आवेदन शामिल है)
ऑनलाइन में भी : 60 दिन में निस्तारण नहीं तो मिलेगी ‘डीम्ड एनओसी’
मोबाइल, ब्रॉडबैंड इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से जाल बिछाने के लिए सरकार ने डीम्ड एनओसी फार्मूले की सख्ती से पालना कराने का आदेश दिया है। मोबाइल टॉवर लगाने, आॅप्टिकल फाइबर केबल बिछाने व अन्य कार्य का आवेदन निर्धारित समय सीमा में निस्तारित नहीं करने पर डीम्ड एनओसी मानी जाएगी, यानि मोबाइल ऑपरेटर स्वत: ही काम कर सकेंगे। इनके लिए बनी पॉलिसी में आवेदन निस्तारण की समय सीमा अधिकतम 60 दिन तय है।
यह है मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड
ऑपरेटर——डाउनलोड——अपलोड
एयरटेल- 12.9——— 5.9
बीएसएनएल- 2.4—— 1.6
रिलायंस जिओ- 27.6—— 9.9
वीआई- 11.6———6.8
(औसत स्पीड एमबीपीएस में है। पीआईबी ओर से नेशनल ब्रॉडबैंड मिशन के तहत जारी रिपोर्ट के अनुसार)
फैक्ट फाइल
-45000 मोबाइल टावर हैं राजस्थान में
-1.35 बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) लगे हैं यहां
-6.54 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैं यहां
स्पीड कम तो चुप नहीं बैठें, करें शिकायत
-संबंधित मोबाइल ऑपरेटर के कॉल सेंटर पर
-दूरसंचार विभाग और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण