जयपुर। बिल्डर ने कॉलोनियों के प्लॉट (व्यक्तिगत भूखंड) पर यदि फ्लैट बना दिए तो आपको बिजली कनेक्शन के लिए 25 रुपए प्रति वर्गफीट ज्यादा शुल्क देना होगा। फ्लैट का एरिया 1300 वर्गफीट है तो 32500 रुपए अतिरिक्त शुल्क देंगे तो ही कनेक्शन मिलेगा। यह पैसा भी फ्लैटधारक से लेंगे, जबकि निर्माण बिल्डर ने किया है। जयपुर विद्युत वितरण निगम ने टीसीओएस (टम्र्स एंड कंडीशन फोर सप्लाई ऑफ इलेक्ट्रिसिटी) संशोधन के आदेश में यह लागू कर दिया है। आर्थिक बोझ के दायरे में ऐसे लोग आएंगे, जिनके फ्लैट कॉलोनी के उस भूखंड पर बनाए गए हैं जिसे डिस्कॉम ने केवल एक यूनिट (जहां एक ही परिवार व्यक्तिगत मकान बनाकर रहता) माना था।
इस तरह समझें
-डिस्कॉम का कहना है कि डवलपर या गृह निर्माण सोसायटी ने कॉलोनी में 50 भूखंड सृजित किए। एक भूखंड यानि एक यूनिट। उसी आधार पर वहां बिजली का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया।
-अब कॉलोनी में उसी एक यूनिट वाले भूखंड पर फ्लैट बना दिए। ऐसे पांच भूखंड पर कुल 34 फ्लैट बना दिए, यानि जिन पांच भूखंड पर 5 कनेक्शन होते, अब वहीं 34 कनेक्शन देने होंगे। इससे विद्युत लोड बढ़ गया और इसकी पूर्ति के लिए अतिरिक्त विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर (ट्रांसफार्मर, बिजली लाइन) डवलप करना होगा। इसमें मोटी राशि खर्च होती है।
ज्यादातर यह आएंगे दायरे में
यह उन कॉलोनियों में बनने वाले फ्लैटधारियों पर लागू होगा,जहां 50 केवीए से कम विद्युत लोड इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है। इसलिए ज्यादातर मामलों में ज्यादातर जी 3 (चार मंजिला) वाली फ्लैट इमारतें इसके दायरे में आएगी, जहां छह से आठ फ्लैट हैं।हालांकि, कुछ जगह डिस्कॉम अभी तक बिना नियम ही इसकी वसूली करता रहा है।
सवाल : जनता पर बोझ, डवलपर-बिल्डर पर क्यों नहीं?
-बिल्डर जब निर्माण शुरू करता है तो डिस्काॅम उसे अस्थाई बिजली कनेक्शन जारी करता है। उसी समय बिल्डर से यह शुल्क क्यों नहीं ले रहे। जबकि, कनिष्ठ, सहायक व अधिशासी अभियंता को इसकी जानकारी होती है।
-डिस्काम कर्मचारियों ने आसान तरीका अपना रखा है। इसमें फ्लैटधारी से शुल्क लेने में आसानी रहती है, क्योंकि उसे स्थाई कनेक्शन तभी जारी किया जाएगा जब वह यह अतिरिक्त शुल्क देगा।
-नगरीय निकाय, विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास ऐसे बिल्डर व डवलपर एक्शन क्यों नहीं ले रहा। जबकि, उस एरिया में स्वीकृत लेआउट प्लान के विपरीत निर्माण की अनुमति ही नहीं है। इसके बावजूद व्यक्तिगत भूखंड पर फ्लैट कैसे बन रहे हैं।