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CAG Report: राजस्थान में 30 हजार करोड़ से अधिक खर्च, फिर भी सैकड़ों परियोजनाएं अधूरी, पुरानी बजट घोषणाएं भी पूरी नहीं

सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजस्थान में 30 हजार करोड़ खर्च के बाद भी 541 परियोजनाएं अधूरी हैं। साल 2014-15 से पहले शुरू 34 प्रोजेक्ट अब तक अटके, सबसे ज्यादा 350 पीडब्ल्यूडी से जुड़ी योजनाएं का काम नहीं हुआ।

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जयपुर

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Arvind Rao

Oct 12, 2025

Rajasthan CAG report

Rajasthan CAG report (Patrika Photo)

जयपुर: 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बावजूद प्रदेश में 10 करोड़ से अधिक लागत वाली 541 परियोजनाएं अधूरी रह गईं। इससे इस राशि का सदुपयोग नहीं हुआ। वहीं, राज्य पर ऋण और ब्याज सहित अन्य वित्तीय भार बढ़ गया।


नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के आधार पर यह खुलासा किया। इससे सामने आया कि 34 परियोजनाएं तो ऐसी थीं, जो साल 2014-15 से पहले की होने के बावजूद अब तक पूरी नहीं हो पाईं।


सीएजी के अनुसार, परियोजनाएं अधूरी रहने से राशि अवरोधित हो गई। इसको लेकर सीएजी का सुझाव है कि परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा किया जाए, जिससे जनता को उनका समय पर लाभ मिले और लागत में बढ़ोतरी से भी बचा जा सकेगा।


सीएजी का खुलासा


सीएजी ने जब प्रमुख नीतिगत घोषणाओं के क्रियान्वयन के बारे में विभागों से पूछताछ की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई, कुछ में तो निर्माण के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति ही जारी नहीं हो पाई और कुछ के लिए भारत सरकार से राशि नहीं मिल पाई।


पुरानी बजट घोषणाएं भी पूरी नहीं


प्राधिकरण का गठन : 2017-18 चित्तौड़गढ़ किला विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की गई, लेकिन सीएजी को अगस्त 2024 में राज्य सरकार से जवाब मिला कि प्राधिकरण का गठन नहीं हुआ।


औद्योगिक क्षेत्र अटके : 2020-21 बजट में 64 उपखंड में और 2022-23 में 32 उपखंड में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा की गई, लेकिन नवंबर 2024 तक इनमें से 24 उपखंड में ही औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो पाए और 20 उपखंड में प्रक्रिया भूमि आवंटन तक पहुंची।


परिवहन पर विराम


2021-22…बस सेवा से वंचित लगभग 6 हजार ग्राम पंचायतों को परिवहन सेवा से जोड़ने की घोषणा की गई, लेकिन सीएजी को अगस्त 2024 में जवाब मिला कि सरकार ने इस घोषणा पर कोई निर्णय ही नहीं किया।


पाली, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, सवाई माधोपुर, करौली, बीकानेर और दौसा जिलों में मिनी फूड पार्क और जोधपुर के मथानिया में मेगा फूड पार्क विकसित करने की घोषणा की गई, लेकिन कृषि विभाग ने नवंबर 2024 में सीएजी को बताया कि पाली में भूमि आवंटन निरस्त हो गया और जैसलमेर व मथानिया में भूमि ही उपलब्ध नहीं है। शेष जिलों में कार्य प्रगति पर बताया गया।


भूले एग्रो पार्क


2022-23…झालावाड़, भीलवाड़ा, भरतपुर, कोटा, टोंक, बूंदी, बारां, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, अजमेर और उदयपुर जिलों में मिनी फूड पार्क व टोंक जिले के चैनपुरा में मिनी एग्रो पार्क बनाने की घोषणा की गई, लेकिन नवंबर 2024 तक टोंक जिले के सोनवा में मिनी फूड पार्क स्थापित करने की प्रक्रिया ही शुरू हो पाई। कृषि विभाग ने शेष के बारे में सीएजी को कोई जानकारी ही नहीं दी।


ये अधूरे प्रोजेक्ट


350 सार्वजनिक निर्माण विभाग, 110 जल संसाधन और 81 जनस्वास्थ्य एंव अभियांत्रिकी।


खर्च की गई राशि करोड़ रुपए में (31 मार्च 2024 तक)


-साल 2014-15 में 13,916.20
-साल 2016-17 में 1067.15
-साल 2017-18 में 4199.42
-साल 2018-19 में 1490.97
-साल 2019-20 में 60.65
-साल 2020-21 में 158.16
-साल 2021-22 में 3581.44
-साल 2022-23 में 4330.76
-साल 2023-24 में 1729.05