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वनक्षेत्रों में कम हो रहा कार्बन, तापमान हो रहा अनियंत्रित

जोधपुर काजरी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि झालावाड़ के वनक्षेत्र में कार्बन की मात्रा लगातार कम हो रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक तापमान में वृद्धि का भी बड़ा कारण लगातार कार्बन में हो रही कमी है।

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sandeep srivastava

Apr 29, 2016

जिले में जो वनक्षेत्र है उसमें कार्बन की मात्रा लगातार कम हो रही है। यह खुलासा किया है जोधपुर काजरी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने। गत वर्ष करीब 5-6 माह पहले इस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की टोली ने जिले के वनक्षेत्रों में अध्ययन किया था। अध्ययन के बाद टोली ने वन क्षेत्रों में कार्बन की मात्रा कम बताई।

वैज्ञानिकों के मुताबिक तापमान में वृद्धि का भी बड़ा कारण लगातार कार्बन में हो रही कमी है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले के वनक्षेत्रों में कार्बन कम होने का एक बड़ा कारण यहां चार से पांच माह तक भेड़ निष्क्रमण होना है। लगातार वन क्षेत्रों में भेड़ व बकरी रहने के कारण यहां वृक्षों पर लगी पत्तियों को खाने के कारण कार्बन की मात्रा इन वनक्षेत्रों में कम होती जा रही है। इससे तापमान भी प्रभावित हो रहा है।

-वनक्षेत्र हो रहा कम
इस शोध में बताया कि प्रदेश के 17 जिलों में वनों का तेजी से क्षय हो रहा है। सघन वन खत्म होने से मिट्टी और पौधों का कार्बन कार्बनडाई आक्साइड, के रूप में हवा में पहुंच गया है। इस अतिरिक्त कार्बन में तापमान बढऩे के चलते ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है।
शोध में राज्य के 17 जिलों में झालावाड़ भी शामिल है। कार्बन कम होने का असर मिट्टी पर भी पड़ रहा है। इसके चलते वृक्ष, झांडिय़ां व अन्य वनस्पति कम हो रही हैं।

-मिट्टी में ज्यादा कार्बन के फायदे
वैज्ञानिकों के मुताबिक हवा में कार्बन की मात्रा संतुलित रहेगी तो वातावरण का तापमान कम रहेगा। मिट्टी की उर्वरकता बढऩे से वनस्पति बढ़ेगी। वनीकरण से जैव विविधता भी बढ़ेगी। ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन पर काबू पाया जा सकेगा।

-पड़ रहा वातावरण पर असर
जिले के वनों में कार्बन का असर कम होने के कारण लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है। इसके चलते ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बना हुआ है। वहीं मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होने से ये फर्टिलाइज (उर्वरक) नहीं हो पा रही है। कार्बन की कमी का असर मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर भी पड़ रहा है। वहीं ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो रही है।

-ये हैं कार्बन होने के फायदे
कार्बनिक रूप में कार्बन हयूमिक एसिड व फ्यूमिक एसिड के रूप में रहता है। यह मिट्टी का पीएच 6 से 8 के मध्य रखता है जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। जैसे-जैसे पौधा वृक्ष बनता जाता है, वातावरण में कार्बनडाई आक्साइड को सोखकर कार्बन के रूप में संचित करता है। इससे ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है। वहीं तापमान को नियंत्रित रखता है।


-ये है वनक्षेत्र

जिले का वनक्षेत्र 1150.95 वर्ग किलोमीटर है। कार्बन कम होने से वनक्षेत्रों में मिट्टी का खारापन बढ़ रहा है। राज्य के जंगलों में 305 मिलीयन टन कार्बन का स्टॉक है। इसमें से 142.6 मिलियन टन अकार्बनिक रूप में जबकि 121.6 मिलीयन टन कार्बनिक रूप में है। जो कुल कार्बन के 42 मिलियन टन कम है। ये कार्बन की कमी वातावरण को सीधे प्रभावित कर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ा रही है। इसकी लगातार कमी आने वाले ग्लोबल वार्मिंग को भी इंगित कर रही है।



-हां यह सही है जिले के वनक्षेत्रों में कार्बन की मात्रा कम हो रही है। इसका एक बड़ा कारण भेड़ निष्क्रमण भी है। पिछले वर्ष जोधपुर के एक इंस्टीटयूट की टोली सर्वे के लिए आई थी। जिले के वनक्षेत्रों में कार्बन कम होने का असर तापमान पर भी पड़ रहा है।
सी.आर.मीना, वन मंडल अधिकारी झालावाड़

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