
case of superstition to make dead kid alive by tantra mantra in Jaipur
पावटा/जयपुर। बडनगर ग्राम की ढाणी चमारों वाली में सर्पदंश से रविवार को मरे एक बालक के साथ लगातार 14 घंटे झाड़ फूंक कर जिन्दा करने के लिए छेड़छाड़ करने के बाद सोमवार को सांय तीन बजे अन्तिम संस्कार किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को सांय सात बजे 10 साल के गिरधारी नाई पुत्र विनोद को एक सर्प ने काट लिया। इसके बाद गिरधारी को एक निजी चिकित्सालय पावटा लाया गया। यहां चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
यूं चला घटनाक्रम
इसके बाद परिजन मृतक को मंढा हीरामलबाबा के मन्दिर ले गये। यहां से उपचार के लिए चन्दवाजी निम्स हास्पिटल ले गए। सोमवार सुबह सात बजे घर लाकर अन्तिम संस्कार के लिए शमशान ले गए व बालक को चिता पर लिटा दिया। इस दौरान एक ग्रामवासी आया व कहने लगा सर्पदंश से 48 घंटों तक कोई मरता नहीं है। मृतक के दोनो कानों में पीपल के पत्ते लगा दिए। इस दौरान लुहाखना व अन्य कई जगहों से हीरामल बाबा के भक्तों को बुलाकर शव को नीम के पत्तों से ढक कर झाड़फूंक करने के बाद सांय तीन बजे मृत घोषित कर अन्तिम संस्कार किया। उल्लेखनीय है 22 जून को मृतक के दादा गणपतराम का भी निधन हुआ था।
पहले भी सामने आए ऐसे मामले
1. 10 माह पहले मरे बेटे को तंत्र विद्या से जिंदा करने का मामला
धौलपुर जिला मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूर स्थित गांव बेबलपुर लुहारी में एक तांत्रिक ने अपने ही 10 माह पहले मरने के बाद जमीन में गाड़े गए बच्चे को तंत्र विद्या के साथ सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में बाहर निकाला और अपने धार्मिक स्थल पर ले गया। जहां तंत्र विद्या के सहारे बच्चे को जिंदा करने के प्रयास के साथ लोंगो से 7 दिन में पूजा पाठ के बाद बच्चे को जिंदा करने का दावा किया। करीब 30 वर्षीय रामदयाल कुशवाहा पुत्र उत्तम सिंह निवासी बेबलपुर लुहारी धौलपुर के 10 माह के इकलौते बेटे की करीब 10 माह पहले मौत हो गई थी। ग्रामीण बताते हैं कि मौत का कारण रामदयाल भूत-प्रेत का साया मानता है। मृतक बच्चे को गांव के पास ही खेत में गड्ढा खोदकर दफना दिया गया था। ग्रामीणों ने बताया कि रामदयाल भैरो बाबा और माता का पुजारी है, उसने गांव में पूजा अर्चना करने अपना स्थान भी बना रखा है। जहां वह प्रतिदिन पूजा अर्चना करता है। रविवार सुबह रामदयाल ने परिजनों को बताया कि रात को उसे भैरो बाबा और माता ने सपना दिया है कि तेरा बेटा अभी जिंदा है, उसे खोद कर निकाल ले। इस पर रामदयाल ने रविवार शाम को आसपास के 12 गांव में नाई से लोगों को बुलावा लगवाया दिया कि सोमवार को सुबह 10:25 बजे गड्ढा खोदकर बेटे को बाहर निकाला जाएगा और जिंदा किया जाएगा।
2. आत्मा लेने अस्पताल पहुंच गए परिजन
मामला है कोटा के एक अस्पताल का, जहां कुछ लोग ढ़ोल बाजे के साथ आत्मा लेने अस्पताल पहुंच गए। बताया जा रहा है कि करीब तीन महीने पहले रामदेव भील नामक युवक की अस्पताल में इलाज के दौरान ही मौत हो गई थी। यह युवक सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था।
युवक की मौत के सदमे में उसकी पत्नी की तबियत भी खराब रहने लगी। लेकिन अन्धविश्वास के चलते किसी ने उन्हें अस्पताल में इस तरह से टोटका करने की हिदायत दी कि वह अस्पताल में जाकर मृतक के वार्ड के पास पूजा करे तो उसकी पत्नी सही हो जाएगी। बस फिर क्या था परिजनों ने इस बात का विश्वास करते हुए मृतक की आत्मा को अस्पताल लेने पहुंच गए। अस्पताल में सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोका लेकिन कुछ महिलाएं सीधे आईसीयू के गेट के पास जा पहुंची। उन्होंने वार्ड के पास ही दरवाजे पर नारियल, गेंहू, अगरबत्ती चढ़ाकर पूजा की और करीब दस मिनट बाद वहां चले गए। वार्ड के गेट के पास यह सब सामान पड़ा देख वहां भर्ती मरीज और उनके परिजन सकते में आ गए। बाद में पता चला कि जिन लोगों ने यहां टोटका किया उनके परिवार में से किसी की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। इसके चलते वे यहां अस्पताल में आत्मा लेने आए थे।
3. इलाज के नाम पर 4 माह की मासूम को गरम सलाखों से दागा
भीलवाड़ा जिले में इलाज के नाम पर अंधविश्वास का खेल चरम पर है। खेल भी ऐसा कि लोग भूल जाते हैं कि ये किसी के लिए जानलेवा हो सकता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया भीलवाड़ा के कारोई थानान्तर्गत रामा खेड़ा गांव का, जहां मां बाप ने लोक देवता के कहने पर अपने ही जिगर के टुकड़े पर अत्याचार होता देख लिया। 4 माह की मासूम बच्ची के पिता उदय लाल भील ने बताया कि उनकी बेटी नन्दिनी को निमोनिया हो गया था। उनके पास ही रहने वाले लोक देवता की चौकी में कहा गया कि बच्ची को दांव लगाने से वो ठीक जाएगी। जिसके बाद मां बाप ने अपनी फूल से नाजुक बेटी को गर्म सलाखों से पेट पर दांव लगा दिया। लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और फिश्र उसे अस्पताल लाना पड़ा। वहीं अस्पताल के शिशु रोग चिकित्सक डॉ.ओपी आगाल ने कहा कि 4 माह की बच्ची नन्दिनी को निमोनिया के साथ ही दिल की बीमारी की भी आशंका है। अंधविश्वास के चलते बच्ची की हालत नाजुक है।
4. डायन प्रथा से महिलाओं पर बेहिसाब अत्याचार
प्रदेश के भीलवाड़ा में आज भी डायन प्रथा को मानने वाले लोग हैं। फिर उसे भगाने के नाम पर महिलाओं पर जो अत्याचार होते हैं उसे सिर्फ सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाएं। अनपढ़ भोपा या ओझा औरतों के मुंह में जूते ठूंस देते हैं। इन्हीं जूतों में पानी भरकर पिलाते हैं। जूतों से पिटाई करते हैं। कई बार इन्हीं जूतों को सिर पर रखवा कर मंदिर की सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ने—उतरने को मजबूर करते हैं। भीलवाड़ा जिले के आसिंद कस्बे स्थित बंक्याणी माता के मंदिर में डायन और भूत-प्रेत भगाने का दावा किया जाता है। बेहोश होने तक महिला को मंदिर की सीढ़ियां चढ़नी उतरनी होती हैं। हर शनिवार और रविवार को करीब 10 से ज्यादा भोपा करीब 300 महिलाओं के डायन उतारने का काम करते हैं। एक डायन उतारने का 500 से 1000 रुपया लिया जाता है। यहां तक कि कबाड़ी से भी फटे-पुराने फेंके हुए चमड़े के जूते को दो रुपयों में बेचा जाता है।
Published on:
23 Jul 2018 05:23 pm
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