
Chaitra Navratri 2021 Date Chaitra Navratri 2021 Kab Hai Gudi Padwa
जयपुर। 13 अप्रैल यानि मंगलवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। 21 अप्रैल तक चलनेवाली इस नवरात्रि के दौरान अलग—अलग दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में माता की साधना त्वरित फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा महिषासुर नामक दैत्य का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं। उनमें सभी देवताओं की शक्ति समाहित थी।
देवताओं की सम्मिलित शक्ति के बल पर मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर संसार को उसके आतंक से मुक्त कर दिया था। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि दुर्गा सत्पशती में इस संबंध में विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अनुसार महिषासुर को मारने के लिए सभी देवताओं के तेज से मां दुर्गा की उत्पत्ति हुई थी।
दुर्गाजी का मुख शिवजी के तेज से बना। इसके बाद विष्णुजी ने उन्हें अपने तेज से भुजाएं प्रदान कीं जबकि सूर्य के तेज से पैरों की उंगलियां और चंद्रमा के तेज से वक्षस्थल बना। कुबेर के तेज से देवी दुर्गा की नाक बनी, प्रजापति के तेज से दांत बने, संध्या के तेज से भृकुटि बनी और वायु के तेज से कान बने। यमराज के तेज से केश और अग्नि के तेज से नेत्रों ने आकार लिया।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार महिषासुर का वध करने के लिए दुर्गा रूप में अवतरित होने के बाद देवी को सभी देवताओं ने शक्तियां भी दीं। भगवान विष्णु ने मां दुर्गा को सुदर्शन चक्र दिया जबकि भगवान शिव ने उन्हें त्रिशूल भेंट किया। इसी प्रकार मां दुर्गा को देवराज इंद्र ने वज्र प्रदान किया तो यमराज ने कालदंड, वरुणदेव ने शंख, पवनदेव ने धनुष-बाण दिए।
अनेक देवताओं ने दुर्गाजी को सुसज्जित भी किया। इसके लिए समुद्रदेव ने उन्हें आभूषण भेंट किए। प्रजापति दक्ष ने देवी दुर्गा को स्फटिक की माला दी तो सरोवर ने अक्षय पुष्प माला प्रदान की। कुबेरदेव ने दुर्गाजी को शहद का दिव्य पात्र भेंट किया। मां दुर्गा जिस शेर की सवारी करते हैं वह उन्हें पर्वतराज हिमालय ने भेंटस्वरूप प्रदान किया था।
Published on:
12 Apr 2021 06:24 pm
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