राजधानी में लो-फ्लोर की स्थिति को देखें तो शहर में महज 250 हैँ। इनमें भी 50 से ज्यादा ऑफ रूट रहती हैं। शाम सात बजे बाद बसों का संचालन बंद होना शुरू हो जाता है। ऐसे में लोगों को आवागमन में परेशानी होती। लो-फ्लोर के भरोसे समस्या का समाधान नहीं होगा।
शहर में यात्री वाहनों की हड़ताल से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एयरपोर्ट पर कार एसोसिएशन की ओर से बंद रखा गया है। वहीं ई-रिक्शा वेलफेयर सोसायटी और ऑटो से जुड़ी सभी यूनियन ने चक्काजाम की घोषणा की है। इसके अलावा ट्यूरिस्ट बस एसोसिएशन, निजी बस ऑपरेटर, परचून ट्रांसपोर्ट, विश्वकर्मा ट्रांसपोर्ट, जयपुर मिनी बस, पिंकसिटी कार, जयपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सहित 17 यूनियनों ने वाहनों को बंद रखने की घोषणा की है। इधर, हड़ताल में जयपुर ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर चैंबर अध्यक्ष गोपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि उनका समर्थन नहीं होगा।
महासंघ का तर्क, क्यों हो रही हड़ताल
परिवहन विभाग ने फिटनेस सेंटर ने आरटीओ कार्यालयों से बंद कर निजीकरण कर दिया।
निजी सेंटर ट्रांसपोर्ट नगर से 35 किमी दूर अजमेर रोड पर है। आने-जाने में 70 किमी लगते हैं।
फिटनेस दूसरे दिन दी जा रही है, दो दिन खराब हो रहे हैं।
फिटनेस सेंटर पर पांच हजार रुपए अगल से लग रहे हैं।
सेंटर पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।
कार्यालयों में फिटनेस बंद करने से सरकार को रोज एक सेंटर से 1.5 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
राजधानी में ट्रांसपोर्टरों की ओर से किए जा रहे फिटनेस सेंटर के विरोध पर परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा है कि फिटनेस सेंटर को लेकर ट्रांसपोर्टरों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार नीति तय करेगी। इसके लिए बैठक आयोजित कर निर्णय लिया जाएगा। खाचरियावास ने कहा कि ट्रांसपोर्टरों को भी बैठक में बुलाया जाएगा। इसके अलावा सरकार हाईकोर्ट में भी अपना पक्ष रखेगी। परिवहन विभाग ट्रांसपोर्टरों को परेशान करने के बजाय पहले बकाया टैक्स वसूलने का अभियान चलाएगा।