इस उपछाया चंद्रग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 5 मिनट तक रहेगी । यह चन्द्रग्रहण भारत सहित एशिया के सभी देशों और यूरोप, अटलांटिक महासागर, अफ्रीका तथा ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। पं. ओमप्रकाश शर्मा के मुताबिक यह उपछाया चंद्रग्रहण है इस कारण इसका कोई सूतक भी नहीं लगेगा और सभी कार्य अपने हिसाब से हो सकते हैं। मांद्य चन्द्रग्रहण होने से यह ग्रहण चन्द्रमा को धुंधला ही कर पाएगा। चन्द्रमा कीकला में कोई कमी नहीं आएगी। ग्रहणकाल के दौरान चन्द्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरेगा।
आपको बता दे सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा पर पृथ्वी छाया पड़ने लगती है, तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। चांद के संपूर्ण बिंब पर हसिया के समान काली छाया नज़र आती है। इस अवस्था को आंशिक या खंड ग्रहण कहा जाता है। कुछ मौकों पर यह काली छाया चांद को पूरी तरह से ढंक लेती है। इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण या खग्रास चंद्र ग्रहण कहा जाता है।