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फिल्म ‘छोटी सी गुजारिश’ का बड़ा सवाल: माता—पिता परिवार का हिस्सा क्यों नहीं?

कई फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित होने के बाद अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई 'छोटी सी गुजारिश'

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फिल्म 'छोटी सी गुजारिश' का बड़ा सवाल: माता—पिता परिवार का हिस्सा क्यों नहीं?

फिल्म 'छोटी सी गुजारिश'

सुरेंद्र बगवाड़ा , जयपुर


अभिनेता शिशिर शर्मा और स्मिता जयकर की शॉर्ट फिल्म 'छोटी सी गुजारिश' हाल ही एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई है। फिल्म के निर्देशक प्रज्ञेश सिंह है। निर्देशक प्रज्ञा ने बताया कि फिल्म उस समाज का आईना है, जो आज के 10 साल पहले जैसा लगता है। यह 10 साल बाद भी उतना ही प्रासंगिक होगा, जब तक कि सामाजिक संरचना नहीं होगी।

फिल्म ( Chhoti Si Guzaarish ) दिखाती है कि युवाओं की सफलता की इस दौड़ में माता-पिता पीछे रह जाते हैं। इसके कारण वे निराश हो जाते हैं। वे एक निरर्थक जीवन जीने जैसा महसूस करने लगते है। फिल्म सवाल उठाती है कि माता-पिता परिवार का हिस्सा क्यों नहीं हैं।

इसकी कहानी 'सुगना' और 'शिशिर' के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका बेटा अमरीका में बस गया है। वह अपनी मां को मरने की स्थिति में भी नहीं देखता है। निर्देशक बताते है कि यह फिल्म 'बागबान' की कहानी के विपरीत है। इसे अपने चरमोत्कर्ष में यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाती है। बच्चों का व्यवहार अलग होने के दर्द में टूट जाता है। वे उस परिणति को चुनते हैं, जो कल्पना भी नहीं कर सकते।

निर्देशक सिंह ( pragyesh singh ) ने बताया कि यह शिशिर के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। वह इतना ऑनस्क्रीन कभी नहीं रोए थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान शिशिर बहुत दुखी हुए और कई बार रोए। उन्होंने शूटिंग के दौरान ग्लिसरीन का इस्तेमाल नहीं किया है। सिर्फ कल्पना की और कहानी को अपनाया और हर शॉट स्वाभाविक रूप से आया। फिल्म का वास्तविक रूप देने के लिए लखनऊ में वास्तविक स्थान पर दाह संस्कार किया गया था। बिठूर घाट में अस्थि विसर्जन का दृश्य फिल्माए गए।