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हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी से मिल रही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों को राहत

जन्म के बाद बच्चों के शरीर का पूरी तरह विकास नहीं होने के कारण उनके चलने में परेशानी आती है। चीफ फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ अवतार डोई ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी को हम शारिरीक विकलांगता,बच्चों का लकवा या मस्तिष्क घात कहते है। हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी मशीन मरीजों के लिए में बहुत कारगर साबित हो रही हैं।

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Hyperbaric oxygen therapy: हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी से मिल रही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों को  राहत

Hyperbaric oxygen therapy: हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी से मिल रही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों को राहत

Hyperbaric oxygen therapy: जन्म के बाद बच्चों के शरीर का पूरी तरह विकास नहीं होने के कारण उनके चलने में परेशानी आती है। उनके अंग सामान्य होने के बजाए टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं और वह ठीक से चल भी नहीं पाते है। देश में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों का इलाज समय पर होने से वे ठीक भी हो जाते हैं। इस बीमारी में हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी का प्रयोग होने से मरीजों की रिकवरी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। फिलहाल इस थैरेपी को देशभर में कुछ ही जगहों पर उपयोग में लिया जा रहा है। जिसमेें राजस्थान में केवल दो नीजी अस्पतालो मे यह सुविधा उपलब्ध है । अभी तक यह सुविधा सरकारी अस्पतालों मे उपलब्ध नहीं है।

आखिर क्यों होता सेरेब्रल पाल्सी ?

चीफ फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ अवतार डोई ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी को हम शारिरीक विकलांगता ,बच्चों का लकवा या मस्तिष्क घात कहते है। यह बच्चें के जन्म लेने पर ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। बीमारी के रेशो के अनुसार सेरेब्रल पाल्सी से 2000 बच्चों में से 3 बच्चें ग्रसित है। लेकिन सभी बच्चों में जन्म से ही यह बीमारी नहीं होती है , कुछ मामलों में बच्चों का उम्र के साथ मस्तिष्क विकास के न होने से, उनका प्री मेच्योर होना या जन्म के समय देरी से रोना और किसी प्रकार का दिमागी बुखार होने से ऐसी जटिलता होने की संभावना होती है। कभी कभी बच्चे के ऑपरेशन से होने पर हेड इंजरी के कारण भी यह होने की संभावना होती है। मानव शरीर नौ सिस्टम से बना हुआ है। जिसका कंट्रोल ब्रेन होता है, ब्रेन के प्रमुख तीन हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी से बच्चे में यह समस्या बढ़ती जाती है।

क्या है इलाज ?
इसका एक ही इलाज है डेडिकेट फ़िज़ियोथेरेपी यह नहीं कराने से बच्चा कभी ठीक नहीं हो सकता है। माता पिता को बच्चे को आंकना चाहिए की जो विकास एक साल के बच्चों में होना चाहिए वह उनके बच्चे में हो रहा है या नहीं यदि वह एक साल में भी गर्दन नहीं संभाल रहा ,बैठ नहीं पा रहा , तो ये क्यों हो रहा है। ऐसा होने पर बच्चों की मासपेशियां कमजोर होने से हाथ पैर गर्दन स्थिर हो जाते है। कई बच्चों में तकलीफ इस तरह बढ़ती है ,कि वह हमेशा के लिए किसी पर निर्भर हो जाते हैं।


हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी
हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी (एचबीओटी) का इंडिया में पहली बार प्रयोग करने वाले डॅा अवतार डोई ने बताया कि यह थेरेपी 2015 में राजस्थान में लाई गई। उस स्थिति में हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थैरेपी का प्रयोग हम करते है। यह मशीन मरीजों के लिए में बहुत कारगर साबित हो रही हैं। अब तक लगभग 2000 से ज्यादा बच्चों का इस मशीन की मदद से इलाज कर चुके है। हमारा 70 से 80 प्रतिशत सफलता का अनुपात रहा है।