अफसर हैं कि सुनते नहीं
बांसखोह सरपंच मंगलराम मीणा का कहना है कि ढाई सौ लोगों के 24 परिवार यहां बरसों से रह रहे हैं। इन परिवारों में करीब तीस बच्चे रोज बंधक बनते हैं। सरकारी अफसर कई बार इनके हालात देखने आए, लेकिन हालात नहीं बदले। परिवार महिला और पुरुष सुबह ही काम पर निकल जाते हैं। बच्चों को साथ नहीं ले जा सकते, इसलिए उन्हें मवेशियों को साथ ही खुले में बांधना पड़ता है। कलक्टर को भी इसकी जानकारी है। उनके ही कहने पर पंचायत ने इन परिवारों को सत्तर गज के प्लॉट दिए हैं। लेकिन वहां इनके पास नीवं तक के पैसे नहीं हैं। इतनी बुरी हालत होने पर भी इनको प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य किसी सरकारी योजना के तहत मदद नहीं मिल रही है।
बांसखोह सरपंच मंगलराम मीणा का कहना है कि ढाई सौ लोगों के 24 परिवार यहां बरसों से रह रहे हैं। इन परिवारों में करीब तीस बच्चे रोज बंधक बनते हैं। सरकारी अफसर कई बार इनके हालात देखने आए, लेकिन हालात नहीं बदले। परिवार महिला और पुरुष सुबह ही काम पर निकल जाते हैं। बच्चों को साथ नहीं ले जा सकते, इसलिए उन्हें मवेशियों को साथ ही खुले में बांधना पड़ता है। कलक्टर को भी इसकी जानकारी है। उनके ही कहने पर पंचायत ने इन परिवारों को सत्तर गज के प्लॉट दिए हैं। लेकिन वहां इनके पास नीवं तक के पैसे नहीं हैं। इतनी बुरी हालत होने पर भी इनको प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य किसी सरकारी योजना के तहत मदद नहीं मिल रही है।
श्वान काट गया बंधे हुए बच्चे को
कुछ महीने पहले परिवार के एक बच्चे को श्वान ने काट लिया था। उसके बाद बच्चा अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठा है। मीणा ने बताया कि पीएम, सीएम से लेकर स्थानीय अफसरों तक सत्तर से भी ज्यादा पत्र तो चार साल में ही लिख डाले हैं। कईयों के जवाब भी आए हैं, लेकिन मदद अभी तक नहीं पहुंची है।सब वोट मांगने आते हैं
कुछ महीने पहले परिवार के एक बच्चे को श्वान ने काट लिया था। उसके बाद बच्चा अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठा है। मीणा ने बताया कि पीएम, सीएम से लेकर स्थानीय अफसरों तक सत्तर से भी ज्यादा पत्र तो चार साल में ही लिख डाले हैं। कईयों के जवाब भी आए हैं, लेकिन मदद अभी तक नहीं पहुंची है।सब वोट मांगने आते हैं
वोट मांगबा आवे हैं, पाछी कोई कोनी आवे, ये कहना है इन्हीं परिवारों में से एक बुजुर्ग महिला सतुड़ी का। सतुड़ी का कहना है कि सालों से यहां एेसे ही हालातों में रह रहे हैं। लोग आते हैं और देख के चले जाते हैं। सरपंच ने जमीन के पट्टे दिए हैं, लेकिन मकान कैसे बनाएं।