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चूहड़ सिद्ध बाबा के मेले में उमड़ा भक्तों का सैलाब

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक। साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल। सर्व समाज के पीर। ऊंच-नीच के भेद को मिटाने वाले। सबका कल्याण करने वाले चूहड़ सिद्ध बाबा का मेला सोमवार को भरा।

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Abhishek Pareek

Mar 08, 2016

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक। साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल। सर्व समाज के पीर। ऊंच-नीच के भेद को मिटाने वाले। सबका कल्याण करने वाले चूहड़ सिद्ध बाबा का मेला सोमवार को भरा। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। अलवर के अलावा आसपास के कई जिलों और राज्यों से भी भक्त जन मेले में पहुंचे। चूहड़ सिद्ध बाबा के वार्षिक मेले में हिंदुओं ने पूजा की तो मुस्लिमों ने अकीदत की। बाबा के मजार पर चादर चढ़ाई और मन्नत का धागा बांधा। खील, बतासा, मखाना, चावल और रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाया। पहाड़ों से निकले जल स्त्रोत में स्नान किया। भक्तों ने भंडारे में श्रद्धालुओं को प्रसाद खिलाया। प्याऊ लगाकर पानी पिलाया।

चूहड़ बाबा के मेले में हर्ष और उल्लास का वातावरण देखने को मिला। दुर्गम पहाडिय़ों में बैठे बाबा के दर्शन और आशीर्वाद के लिए हजारों भक्त पहुंचे। कई हजार फीट की चढ़ाई चढ़कर श्रद्धालु पहुंचे। पहले पहाड़ पर चढ़े, इसके बाद पहाडिय़ों में अंदर चले। पथरीली राहें भी भक्तों की आस्था को डिगा न सकीं। सैकड़ों की संख्या में भक्त डंडौती करते हुए दरबार तक पहुंचे।

जल स्त्रोत में किया स्नान
दरगाह के खलीफा दीना ने बताया कि यहां पहाड़ से जल स्त्रोत निकलता है। जो कि साल भर बहता रहता है। भक्त यहां आकर स्नान करते हैं और दरगाह में बाबा की जियारत करते हैं।

भोले के भजनों पर झूमे भक्त
मेले में भक्त एक तरफ चूहड़ सिद्ध बाबा की मजार पर दुआ करने जा रहे थे। वहीं रास्ते में कई जगह भोले नाथ के भजनों पर भक्त झूमते हुए दिखाई दिए।

मन की मुराद होती है पूरी
भक्तों की मान्यता है कि बाबा के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। जो बाबा के दरबार में खाली हाथ आए, बाबा ने उनकी झोली भरकर भेजा है।

कई किमी लगी लाइन
बाबा के मेले में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। जीप, टै्रक्टर और चार पहिया गाडिय़ों से भक्त पहुंचे। दरगाह से कई किमी दूर से मेला भरना शुरू हो गया था। पहाड़ की चढ़ाई और पहाड़ के ऊपर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी रही। बाबा के मेले में भक्तों का सैलाब उमड़ा।