
जयपुर।
राजस्थान में 1977 में गठित हुई बीकानेर संभाग के अंतर्गत आने वाली चूरू लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2019) पर जाट समुदाय के उम्मीदवरों का दबदबा रहा है। इस सीट पर एक चुनाव को छोड़ दिया जाए तो हर बार जाटों का ही दबदबा रहा। चूरू लोकसभा सीट (Churu Lok Sabha Constituency) पर अब तक हुए कुल 12 आम चुनावों में 5 बार बीजेपी, 4 बार कांग्रेस, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार बीएलडी और 1 बार जेएनपी ने जीत हासिल की है।
रामसिंह कास्वां का टिकट काट उनके बेटे को मिला मौका
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने 3 बार से सांसद रहे रामसिंह कास्वां का टिकट काटकर उनके बेटे राहुल कास्वां को टिकट दिया था। बीजेपी के टिकट पर राहुल कास्वां ने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अभिनेष महर्षि को 2 लाख 94 हजार से भी ज्यादा मतों के भारी अंतर से हराया था। कास्वां की जीत का प्रतिशत 26.32 फीसदी रहा था। जबकि कांग्रेस के प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। राहुल कास्वां को इस चुनाव में 595,756 वोट मिले, जबकि अभिनेष महर्षि को 3,01,017 और कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह को 1,76,912 वोट प्राप्त हुए थे। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में 64.54 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें कुल 17,53,825 मतदाताओं ने वोट डाले थे। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9,28,040 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,25,785 थी।
5 बार तो पिता-पुत्र की रही धाक
चूरू लोकसभा सीट पर जाट समुदाय के उम्मीदवरों का हमेशा से दबदबा रहा है। यहां 7 लोकसभा चुनावों से जाट ही जीतते रहे हैं। यहां तक की 5 बार तो पिता-पुत्र रामसिंह कस्वां-राहुल कस्वां जीते हैं।
अगर विधान सभा चुनावों की बात की जाए तो चूरू लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सादुलपुर, तारानगर, सुजानगढ़, सरदारशहर, चूरू, रतनगढ़, हनुमानगढ़, नोहार और भादरा। सादुलपुर, तारानगर, सरदारशहर, चूरू, रतनगढ़, सुजानगढ़ सीटें चूरू जिले में आती हैं और नोहार और भादरा सीटें हनुमानगढ़ जिले में आती हैं। 2018 के विधान सभा चुनावों में इन 8 सीटों में से 5 पर कांग्रेस, 2 पर बीजेपी और 1 पर सीपीएम ने कब्जा जमाया था।
Published on:
21 Mar 2019 09:51 am
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