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इन अफसर ने कहा— सुधर जाओ, वरना स्वच्छता में यूं तो आ लिए अव्वल

स्वच्छता सर्वेक्षण देश में गुरुवार से शुरू हो जाएगा। इसमें जयपुर शहर का नम्बर 16 जनवरी को आएगा।

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इसके बाद अब नगर निगम के बाद स्वायत्त शासन विभाग के अफसरों ने भी फील्ड में निकलना शुरू कर दिया है। इसी के तहत विभाग के प्रमुख शासन सचिव मनजीत सिंह बुधवार को शहर में स्वच्छता की स्थिति देखने निकले लेकिन निगम के दावे और जनता के जागरुकता की पोल खुल गई। मंजीत सिंह ने माना कि स्वच्छता की रैंकिंग में उपर आना है तो अभी बहुत काम करना बाकी है। शहर में खाली पड़े भूखंड कचरे से अटे हैं, सड़क पर गंदगी फैली है, घर—घर कचरा संग्रहण में बड़ी खामियां, आवारा पशुओं का जमावड़ा, अवैध डेयरियों का संचालन सहित कई तरह की लापरवाही दिखाई। हालांकि, इसमें शहरवासियों की लापरवाही भी सामने आई। लोगों ने घर के बाहर ही कचरा फैलाए रखा। वहीं, खुद के खाली भूखंड को कचरे से अटा देखते रहे। इस बीच निगम अफसर खामियां जल्द दूर करने का आश्वासन देते रहे। हालांकि, सर्वेक्षण से 11 दिन पहले इतना काम कर पाना असंभव से कम नहीं है।

जहां पहुंचे, वहीं दिखाया आइना..
मंजीत सिंह ने जगतपुरा, टोंक रोड, अजमेरी गेट, चारदीवारी सहित कई इलाकों का दौरा किया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया किय अब भी शहर में सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए काम होने बाकी हैं। कचरे का पृथक्करण और डिस्पोल पूरी तरह नहीं होना खतरे की घंटी है।

देर शाम तक चला डॉक्यूमेंट अपलोड का काम
—स्वच्छता सर्वेक्षण, 2018 में देश के 4041 शहर शामिल हैं। पिछले वर्ष 434 ही शहर शामिल थे यानि इस बार 3607 शहर ज्यादा।
—4 हजार अंकों का प्रश्न पत्र होगा, जिसमें 71 तरह के प्रश्नों से गुजरना पड़ेगा।
—यही कारण है कि दस्तावेज अपलोड करने के काम में अफसर अंतिम दिन भी जुटे रहे। इसमें ठोस कचरे का परिवहन एवं एकत्रिकरण, ठोस कचरे का पृथक्करण एवं निस्तारण, खुले में शौच मुक्त, सूचना-शिक्षा एवं संचार से आमजन के व्यवहार में बदलाव, क्षमता सवंद्र्धन और नवाचार एवं सर्वोत्तम प्रक्रिया शामिल है।

जनप्रतिनिधियों का नहीं मिल पाया साथ, इसलिए जनता को देना होगा साथ
स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने इंदौर शहर का दौरा किया और वहां जनप्रतिनिधियों के सहयोग को स्वच्छता के लिए नजीर माना। इसके बाद सरकार के निर्देश पर सभी विधायक, सांसदों को पत्र भी लिखा। लेकिन राजधानी जयपुर में ही जनप्रतिनिधि स्वच्छता के प्रति ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। यहां तक की निगम के ज्यादातर भाजपा पार्षदों ने ही इस काम से दूरी बनाए रखी। हालांकि, काम कुछ ही ने किया। जबकि, महापौर अशोक लाहोटी पार्षदों को सहयोग करने के लिए कहते रहे। इस बीच जनप्रतिनिधि व नौकरशाह के बीच टकराव की स्थिति ने काम और बिगाड़ दिया। ऐसे हालात में जनता की भूमिका अब ज्यादा हो गई है।