
ज्यौणार में उम्मीद से ज्यादा भीड़,आमजन से अभद्रता, पत्रिका फोटो
जयपुर में सांगानेरी गेट स्थित अग्रवाल कॉलेज में रविवार को आयोजित ज्यौणार कार्यक्रम अव्यवस्था और प्रशासनिक नाकामी का बड़ा उदाहरण बनकर रह गया। दिनभर की भीड़ और भीषण अव्यवस्था ने न केवल आयोजकों की ‘योजना’ की पोल खोल दी, बल्कि मौके पर मौजूद प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
दोपहर बाद हालात बेकाबू हुए और शाम तक तो स्थिति इतनी बिगड़ गई कि आयोजकों को आयोजन स्थल के गेट बंद करने पड़े। बाहर खड़े सैकड़ों लोग घंटों गेट खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन कुछ को अंदर जाने दिया गया और कुछ नहीं। हाल यह था कि रात 10.30 बजे भी कार्यक्रम स्थल के सामने भीड़ जमी हुई थी।
आयोजन के लिए पहले 50 हजार पास छापे गए, जिन्हें 20 रुपए में बेचा गया। दो हजार निमंत्रण पत्र और छपवा लिए। बिना समुचित योजना और प्रबंधन के यह भीड़ को बुलाने की खुली दावत थी। आयोजकों ने दावा किया कि 55 से 60 हजार लोगों को भोजन कराया गया, लेकिन सवाल यह है कि फिर सैकड़ों लोग आयोजन स्थल के बाहर क्यों खड़े रहे? पुलिस ने फोटोस्टेट पास वालों को रोक दिया यानी पास की वैधता पर भी ठोस व्यवस्था नहीं थी।
रविवार को दोपहर 12 बजे से भोजन शुरू हुआ, जो शाम साढ़े पांच बजे तक चला। इसके बाद भोजन समाप्त हो गया और गेट बंद कर दिए गए। लोगों को बाहर खड़ा कर दिया गया। रसोई फिर से शुरू करनी पड़ी यानी इतनी बड़ी भीड़ के लिए न तो पर्याप्त खाना तैयार था और न ही व्यवस्थाएं। 2 घंटे तक सैकड़ों लोग बाहर खड़े रहे, जबकि अंदर प्रशासन और आयोजक एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे।
जयपुर का ज्यौणार कार्यक्रम परंपरा के नाम पर भव्यता का दिखावा तो बना, लेकिन हकीकत में यह आयोजन अव्यवस्था, लापरवाही और जवाबदेही की खुली हार बनकर सामने आया। आयोजकों ने भीड़ जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उसे संभालने की तैयारी पूरी तरह नाकाफी रही। प्रशासन मूकदर्शक बना रहा और आयोजक एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते दिखे।
जिन लोगों को आमंत्रण दिया गया था, उन्हीं को गेट के बाहर खड़ा कर दिया गया…न कोई सूचना, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था। यह आयोजन एक सबक है कि केवल मंच सजाकर परंपरा निभाई नहीं जाती, उसके पीछे तैयारी, संवेदनशीलता और ईमानदारी भी चाहिए। जनता की भागीदारी के नाम पर हुए इस आयोजन ने आखिरकार उसी जनता को सबसे ज्यादा निराश किया।
कार्यक्रम में महापौर कुसुम यादव की अगुवाई, उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा, सांसद मंजू शर्मा, विधायक बालमुकुंदाचार्य जैसे नेताओं की मौजूदगी जरूर रही लेकिन बाहर सड़कों पर खड़ा आम आदमी, जिसे ज्यौणार में भोजन के लिए बुलाया गया था, अपमानित और उपेक्षित महसूस करता रहा।
भोजन के लिए 12,500 किलो आटा-बेसन, 1,500 किलो दाल और 160 पीपे देसी घी इस्तेमाल होने का दावा किया गया लेकिन इन दावों के बीच सड़क पर खड़े हजारों लोग उस ’सिस्टम’ को कोसते रहे, जो केवल मंच और माइक तक सीमित था।
50 हजार से अधिक शहरवासियों ने ज्यौणार में बैठकर भोजन किया गया। समिति ने 50 हजार पास और दो हजार लोगों को निमंत्रण पत्र दिए गए थे। उम्मीद से ज्यादा लोग जीमण में पहुंचे।-कैलाश मित्तल, संयोजक, ज्यौणार आयोजन समिति
किसने अनुमोदन दिया ज्यादा पास बांटने का?
भीड़ नियंत्रण के लिए क्या ट्रैफिक या सुरक्षा प्लान था?
भीड़ को रोकने का निर्णय किसने लिया और क्यों?
Published on:
14 Jul 2025 11:13 am
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