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मरूधरा की प्यास बुझाएगा अब नारियल पानी, कृषि विभाग ने केरल से मंगवाए नारियल के पौधे

नारियल अब मरूधरा में लोगों की प्यास बुझाएगा।

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coconut farming In rajasthan

जयपुर। मरूधरा में जैतून, किंनवा, डेट पॉम की खेती के बाद कृषि विभाग अब एक ओर नवाचार करने जा रहा है। नारियल अब मरूधरा में लोगों की प्यास बुझाएगा। देश में खासतौर पर पानी की अधिकता वाले दक्षिण के राज्यों में की जा रही नारियल की खेती अब मरूधरा में भी होगी।

विभाग ने इसके लिए तैयारियां करते हुए नारियल और सुपारी की खेती की कवायद शुरू कर दी है। नारियल की दस वैरायटियों के पौधे केरल से मंगवाए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक बीसलपुर के तल क्षेत्र में ये पौधे लगाकर नारियल की खेती की जाएगी। नारियल और सुपारी की खेती की तकनीक का अध्ययन करने के लिए अधिकारियों का दल पिछले दिनों केरल गया था। इसके बाद अब राज्य में इनकी खेती की शुरुआत कर दी गई है।

आईसीएआर के केरल स्थित रिसर्च सेंटर से नारियल के 4000 पौधे मंगवाए हैं। कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी का कहना है कि बीसलपुर क्षेत्र में प्रयोग सफल रहने के बाद उदयपुर , बांसवाड़ा, कोटा , जालौर आदि जिलों के उच्च जलाशय वाले क्षेत्रों में इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।

एक्सीलेंसी सेंटर में होगी खेती
सैनी ने बताया कि इन पौधों को टोंक के थड़ोली स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पर रोपा जाएगा। शुरुआत में दो-दो हैक्टेयर क्षेत्र में नारियल और सुपारी की पैदावार की जाएगी। इस नवाचार के लिए सरकार ने करीब 10 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया है। राजस्व विभाग ने बीसलपुर के तल क्षेत्र टोंक के थलोड़ी में जमीन आवंटित की गई है।

आमदनी दोगुनी करने में सहायक
नारियल और सुपारी के बाजार भाव अच्छे होते हैं। ये किसानों की आमदनी दोगुना करने में कारगर हैं। सरकार नारियल की खेती सफल होने पर इसे राज्य में बढ़ावा देगी ताकि अनुकूल वातावरण के क्षेत्रों के किसान इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित हो सकें।

रेन गन से अनुकूल करेंगे वातावरण
नारियल के लिए अनुकूल वातावरण बनाए रखने के लिए इस नवाचार को सफल बनाने के लिए विभाग रेन गन और स्प्रिंकलर के माध्यम से भी आर्द्रता बनाए रखने की कोशिश करेगा। केरल से मंगवाए गए पौधे में हाइब्रिड, टालेस्ट और ग्रीन वैरायटी के पौधे शामिल हैं। जिन किस्मों के अच्छे परिणाम सामने आएंगे, उनकी खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।


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