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स्वच्छता सर्वेक्षण अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह टफ होता जा रहा है। हर साल नए प्रावधान जुड़ने की वजह से शहरी सरकारों के लिए रैंकिंग सुधारना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। शहरी विकास मंत्रालय ने इस बार सर्वेक्षण के अंक 7500 से बढ़ाकर 9500 कर दिए हैं। ऐसे में अंक गणित पर ध्यान नहीं दिया तो रैंकिंग गिरना तय माना जा रहा है। सर्वेक्षण में इस बार रेड स्पॉट यानि गुटखा थूकने के स्थानों में कमी लाने के भी अंक जुड़ेगे। साथ ही सीवर के टूटे ढक्कन भी नंबरों पर विपरीत असर डालेगा। इन दोनों ही मामलों में जयपुर का हाल खराब है। सड़कों से सटी दीवारों और अस्पताल की दीवारें गुटखे से हमेशा लाल रहती हैं। इन्हें खत्म करने के लिए दोनों ही नगर निगम को पूरी जान झोंकनी पड़ेगी।
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सर्विस लेवल सुधारना होगा, सर्वाधिक अंक रखे
सर्विस लेवल यानि सेग्रीगेशन, प्रोसेसिंग व डिस्पोजल। इस पूरे प्रोसेस पर निकायों को पूरा ध्यान देना होगा। खासकर जयपुर की दोनों नगर निगम फिलहाल कचरे का पूरा डिस्पोजल नहीं कर पा रही हैं। केंद्र की ओर से जारी अंकों की सूची में सर्विस लेवल प्रोग्रेस के 4525 अंक रखे हैं। यह कुल अंकों का 48 प्रतिशत है। इसके अलावा 26 प्रतिशत यानी 2500 अंक सर्टिफिकेशन और 26 प्रतिशत यानी 2475 अंक सिटीजन वाइस के होंगे। नई गाइडलाइन के अनुसार अब सर्वेक्षण टीम सरकारी दफ्तरों, सार्वजनिक स्थानों, सड़कों-गलियों का निरीक्षण करेगी।
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सर्वेक्षण को दो चरणों में बांटा
केंद्र सरकार सर्वेक्षण को चरणों में बांटा है। नए शेड्यूल के अनुसार अब तक अंतिम चरण में लिया जाने वाला सिटीजन फीडबैक सबसे पहले लिए जाएगा। अगले वर्ष विशेषज्ञ टीम धरातल पर सफाई का जायजा लेगी। इस बार कचरे से समृद्धि थीम रखी गई है। इसमें कचरे से शहर को समृद्ध बनाने के काम किए जाएंगे। 3-आर यानी रिसाइकल, रियूज और रिड्यूस सिद्धांत पर काम किया जाएगा। आपको बता दें कि 2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण में समय कम था लेकिन इस बार समय भी हैं और तैयारियां भी मजबूत की जाएंगी। अधिकारियों के मुताबिक स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के नतीजों की घोषणा इसी महीने या अगले महीने के प्रारंभ में की जा सकती है।
Published on:
08 Sept 2022 01:43 pm
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