
Territory fight among tigers
Ranthambore: राजस्थान में सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों का बढ़ता आक्रामक व्यवहार चिंता का विषय बन रहा है। हाल की घटनाओं, जिसमें एक रेंजर और एक मासूम बच्चे की बाघ के हमले में मौत हुई, ने जंगल के हालात को गंभीर बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंधाधुंध टूरिज्म, अपर्याप्त मॉनिटरिंग और टेरिटरी की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। वन विभाग के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार, मानव गतिविधियों से घिरे बाघ तनावग्रस्त होकर हिंसक हो रहे हैं।
गौर करें तो वर्ष 2019 में बाघ टी-104 ने तीन लोगों की जान ली थी, जिसके बाद उसे ट्रेंकुलाइज कर कैद में रखा गया। गत वर्ष उसकी मृत्यु हो गई। यह घटना टकराव के खतरनाक परिणामों को दर्शाती है। वन विभाग ने आक्रामक बाघों को रेडियो कॉलर से ट्रैक करने और कुछ बाघों को सरिस्का, मुकुंदरा या रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया है।
एरोहैड टी-84 की मादा शावक रणथम्भौर टाइगर रिजर्व क्षेत्र से सटे गांव कुतलपुरा मालियान के खेतों से बुधवार को होटल तक पहुंच गई। वनविभाग की रेस्क्यू टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया। वनविभाग ने इसे एनक्लोजर में रखा है। यह लगातार त्रिनेत्र गणेश मार्ग सहित रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से सटे क्षेत्रों देखी जा रही है। त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर बच्चे पर हमला और जोगी महल के पास रेंजर पर हमले को लेकर भी इसी बाघिन का अंदेशा जताया जा रहा है।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की गाइडलाइन के तहत रणथम्भौर में रोजाना 100 से अधिक पर्यटक वाहन जंगल में प्रवेश करते हैं। कुछ वाहन बाघों के करीब जाकर उनकी प्राकृतिक जीवनशैली को बाधित करते हैं। ऐसे में वन्यजीवों के स्वभाव में उग्रता बढ़ने लगी है।
Published on:
15 May 2025 10:21 am
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