
राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बुजुर्ग नेताओं को स्वेच्छा से सत्ता का मोह छोड़ने की सलाह देकर नई बहस छेड़ दी है। प्रभारी रंधावा ने कहा कि जो बुजुर्ग नेता हैं उन्हें सत्ता का मोह छोड़कर युवाओं को आगे करना चाहिए और अपने आप को एक माइलस्टोन के रूप में पेश करना चाहिए, उन्हें इसके लिए कहने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। दरअसल रंधावा का यह बयान पार्टी के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह के उस बयान पर आया है जिसमें भरत सिंह ने कहा था कि बुजुर्ग हो चुके नेताओं को सत्ता का मोह का छोड़ना चाहिए।
प्रभारी रंधावा ने बुधवार को कांग्रेस वॉर रूम में मीडिया से बातचीत में कहा कि राजनीति में कट ऑफ एज नहीं होती है लेकिन बुजुर्ग हो चुके नेताओं को चुनाव लड़ने से परहेज करना चाहिए। हालांकि रंधावा ने यह भी कहा कि अगर कोई बुजुर्ग हो गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें घर से निकाल दिया जाए, कांग्रेस कभी भी ऐसा नहीं करती है। जो जिताऊ कैंडिडेट होगा उसे टिकट दिया जाएगा।
इधर रंधावा के इस बयान के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस गलियारों में 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं के टिकट काटे जाने की मांग जोर-शोर से उठ रही है। ऐसे में रंधावा के इस बयान की चर्चाएं खूब हैं।
जिन राज्यों में चुनाव होते वहां पहुंच जाती है ईडी
प्रदेश में ईडी की एंट्री को लेकर प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कहा कि जिन-जिन राज्यों में चुनाव होते हैं वहां पर विपक्षी नेताओं को डराने और धमकाने के लिए ईडी पहुंच जाती है। कर्नाटक में डीके शिवकुमार को ई़डी के जरिए परेशान किया गया, और भी कई राज्यों में ईडी की कार्रवाई विपक्षी नेताओं पर की गई है, लेकिन जनता इनके मंसूबे जान चुकी है। कर्नाटक में इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। मंत्री गोविंद राम मेघवाल और टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश में विपक्षी नेताओं को बेवजह परेशान किया गया तो ईडी की कार्रवाई का विरोध करेंगे।
50 से ज्यादा से नेताओं से मिले रंधावा
प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कांग्रेस वॉर रूम में बुधवार को 50 से ज्यादा नेताओं से वन टू वन मुलाकात की। मंत्री रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, लालचंद कटारिया, ममता भूपेश, भजन लाल जाटव, रामलाल जाट, सालेह मोहम्मद ने भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रभारी रंधावा ने फीडबैक बैठकों को लेकर कहा कि कांग्रेस पार्टी अब चुनावी मोड में हैं और चुनाव तक लगातार बैठकों का दौर चलेगा, जिसमें रणनीति में मंथन होगा। इससे पहले मंगलवार देर रात तक भी प्रभारी रंधावा ने सीएम हाउस में मंत्रियों की ढाई घंटे तक बैठक ली थी।
भरत सिंह ने भी मुख्यमंत्री के लिए कहीं रिटायरमेंट की बात
इससे पहले वॉर रूम के बाहर कमलेश्वर विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने सीएम गहलोत को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने की सलाह दे डाली थी। भरत सिंह ने कहा कि अगर सीएम गहलोत सार्वजनिक मंच से कह दें कि वो मुख्यमंत्री के दावेदार नहीं हैं और युवाओं को आगे करें तो कांग्रेस की सरकार सौ फीसदी रिपीट हो जाएगी, लेकिन सत्ता का मोह नहीं छूटता है।
हालांकि दिलचस्प बात यह है कि विधायक भरत सिंह कुंदनपुर भले ही राजनीति से रिटायरमेंट की सलाह नेताओं को दे रहे हों लेकिन परिवारवाद के मुद्दे पर उनकी नाराजगी नहीं हैं। भरत सिंह स्वयं कह चुके हैं कि वो राजनीति से रिटायर होंगे तो उनकी जगह उनके उत्तराधिकारी युवा चेहरे के तौर पर टिकट मिलना चाहिए।
भाजपा में होता तो मक्खी की तरफ फेंक दिया जाता
भरत सिंह ने कांग्रेस की प्रशंसा करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है जिसकी बदौलत हम बोल पाते हैं। बीजेपी में होता तो मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाता, सुनने की ताकत कांग्रेस पार्टी में है भाजपा में नहीं है।
वीडियो देखेंः- Rajasthan Politics : रंधावा की सलाह या कुछ और..? | Ashok Gehlot | Sachin Pilot | Rajasthan Patrika
Published on:
08 Jun 2023 12:34 pm
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