पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. बलवंत सिंह ने नगर निगम के उपायुक्त और महापौर को पक्षकार बनाते हुए उपभोक्ता मंच में परिवाद दायर किया। जिसमें कहा कि वे निगम को 5280 रुपए सालाना नगर विकास कर यानी यूडी टैक्स के चुकाते हैं। ऐसे में सफाई सहित अन्य सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार है। निगम ने पहले जगह-जगह पर बड़े कचरा संग्रहण पात्र रखे हुए थे, जहां पर वे कचरा डालते थे। नई व्यवस्था करते हुए घर-घर से कचरा संग्रहण शुरू किया गया। उनके आवास पर नियमित कचरा संग्रहण के वाहन नहीं आते हैं। इस संबंध में निगम में कई बार शिकायत भी की है, लेकिन उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ। निगम का रवैया मनमाना, अनुचित व्यापार और सेवादोष की श्रेणी में आता है। मंच के नोटिस देने पर निगम की ओर से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद अपनी बात रखने के कई अवसर देने के बाद भी निगम की ओर से किसी के नहीं आने पर मंच ने परिवादी के शपथ पत्र, यूडी टैक्स की रसीद एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला सुनाया। मंच के अध्यक्ष नगेंद्र पाल भंडारी एवं सदस्यों ने कहा कि 5280 रुपए वसूलने के बाद भी निगम ने सफाई की व्यवस्था नहीं की यह सेवादोष है। निगम परिवादी के आवास से नियमित कचरा उठाने की व्यवस्था करें। इसी के साथ कुल दस हजार रुपए नौ फीसदी ब्याज सहित दो माह में परिवादी को दे।