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बच्चों के एकमात्र जेके लोन अस्पताल में लगातार बढ़ रही ओपीडी,लेकिन सुविधाओं का अभाव,मेनपावर और संसाधनों की कमी से जूझ रहा अस्पताल

मौसमी बीमारियों को लेकर अस्पताल में बढ़ी बच्चों की संख्या तो एक बेड पर 3-3 बच्चों का इलाज

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Continuously increasing OPD in the only children's JK Lon Hospital

Continuously increasing OPD in the only children's JK Lon Hospital

पिंकसिटी जयपुर में एकमात्र बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल पर मरीजों का भार अब बढ़ने लगा हैं। लेकिन अस्पताल में लगातार बढ़ रही ओपीडी और आइपीडी की संख्या के अनुसार यहां पर सुविधाओं,संसाधनों और मेनपावर का अभाव हैं।

हालात यह है कि अस्पताल में मौसमी बीमारियां वायरल,डेंगू,उल्टी,डायरिया व अन्य गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों का इलाज पर किया जा रहा हैं। लेकिन अस्पताल अभी भी संसाधानों के अभाव से जूझ रहा हैं।

एसएमएस की तर्ज पर छोटे बच्चों को किसी भी तरह की इमरजेंसी या गंभीर बीमारी का इलाज करने वाला यह जयपुर का एकमात्र अस्पताल हैं। साथ ही आसपास के जिलों व बाहरी राज्यों के मरीज भी यहां आते हैं।

संसाधनों के अभाव में और मरीजों की बढ़ती संख्या के आधार पर यहां सुविधाएं नहीं होने से एक बेड पर 3-3 बच्चों का इलाज किया जा रहा हैं। वहीं आपरेशन और जांचों में 3 से 7 दिन तक की वेटिंग हैं।

बच्चों के इलाज के लिए जेके लोन अस्पताल ही एकमात्र विकल्प हैं। अस्पताल की क्षमता 774 बैड की है। अस्पताल में दिखाने आने वाले मरीजों की ओपीडी में 2019 में 4 लाख 47 हजार 549 थी। 2021 में यह घटकर 2 लाख 86 हजार 292 रह गई। वहीं वर्ष 2022 में अभी तक 3लाख 30 हजार से ज्यादा मरीज अभी तक अस्पताल में दिखाने के लिए पहुंच चुकी हैं।

वहीं आइपीडी में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 2019 में करीब 45000 थी, यह संख्या वर्ष 2022 में अक्टूबर तक 44 हजार से अधिक दर्ज की गई हैं। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि जेके लोन अस्पताल में मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बच्चों के बेहतर इलाज मिल सकें इसके लिए सुविधाओं और संसाधनों को बढ़ाने की दरकार हैं।

जेके लोन अस्तपाल पर मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुए नया अस्पताल बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि के अधीन बच्चों का करीब 300 बेड का अस्पताल बनाने का प्रस्ताव तैयार किया हैं।

लेकिन पहले से मौजूद जेकेलोन अस्पताल ही मेनपावर और संसाधनों के अभाव से जूझ रहा हैं। ऐसे में नए अस्पताल में संसाधन और मेनपावर की कमी कैसे दूर होगी।

जिस विश्वविद्यालय आरयूएचएस के अधीन इस अस्पताल को बनाया जा रहा है उसका खुद का अस्पताल भी चार वर्ष बाद भी पूरी तरह शुरू नहीं हो सका।यहां भी संसाधनों का अभाव हैं।