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… तो चिकित्सा मंत्री का बेटा करता था डील, मान्यता दिलाने के लिए लेता था मोटी रकम!

निजी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने का मामला...

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जयपुर

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Rajesh

Jan 16, 2018

विकास जैन/जयपुर


चौंकाने वाला खुलासा, निजी नर्सिंग कॉलेजों को 20 लाख रुपए में मान्यता दिलाने की डील वाली बात और किसी से नहीं बल्कि चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के बेटे विवेक सराफ से ही हो रही थी। राजस्थान पत्रिका में इस पूरे मामले का खुलासा सोमवार को होने के बाद बातचीत में शामिल सभी किरदार सामने आ गए।

बातचीत में शामिल विमल नाम का शख्स नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन का कोर्डिनेटर है। जिसका खुद का कॉलेज कानोता में है। वहीं महिला सुमन मानसरोवर में कॉलेज संचालिका है।

डिग्गी रोड स्थित एक कॉलेज का संचालक राजेन्द्र चौधरी भी इस पूरी बातचीत में शामिल है। उनका कहना है कि इस मामले में हम चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ से बात करने गए थे। मंत्री नहीं मिले तो मालवीय नगर स्थित उनके पेट्रोल पंप पर विवेक सराफ से बातचीत की।

कॉलेज संचालकों का अरोप...भ्रष्टाचार का अड्डा है राजस्थान नर्सिंग काउंसिल

विमल और सुमन ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में आरोप लगाया कि राजस्थान नर्सिंग काउंसिल भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। यहां कॉलेजों की मान्यता ऐनवक्त पर रोकने और फिर देने के नाम पर 20-20 लाख रुपए तक की वसूली चल रही है। इसके लिए पहले नियम बदले जाते हैं और फिर मान्यता देने के लिए पैसे लिए जाते हैं। उन्होंने नर्सिंग काउंसिल सहित चिकित्सा विभाग के अधिकारियों पर "नामजद" पैसे लेने के आरोप लगाए।

मंत्री और विवेक ने नहीं रखा पक्ष
राजस्थान पत्रिका ने इस मामले में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ और उनके पुत्र विवेक का भी पक्ष जानने का हर संभव प्रयास किया लेकिन दोनों ने अपना पक्ष नहीं रखा। न तो दोनों ने फ़ोन उठाए ना ही मैसेज का जवाब दिया।

ईपीएस के साथ
राजस्थान पत्रिका ने सोमवार के अंक में 20 लाख लिए, डील आपने करवाई, अब काम करवाओ..शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर भ्रष्टाचार की डील का बड़ा खुलासा किया गया था।

पत्रिका की विमल से बातचीत
सवाल - जो ये बातचीत हो रही है विवेक सराफ से क्यों हो रही है
जवाब - हम पांच सात कॉलेज वाले थे, मंत्रीजी से मिलने उनके घर गए, वहां मंत्रीजी मिले नहीं, उसके बाद हम पेट्रोल पंप पर विवेकजी के पास गए, वहां हमने नर्सिंग काउंसिल में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें की। नर्सिंग काउंसिल और राजस्थान सरकार के अधिकारी कॉलेजों को ब्लैकमेल कर रहे थे। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान एक ही दिन में फाइल चलाकर रोक लगाई और फिर पैसे वसूलने का काम किया। इन्होंने तो आला अधिकारी के्र नाम पर भी पैसे लिए। मेरी तो कॉलेज की मान्यता का मामला नहीं है। मै तो कॉलेज प्रतिनिधि के तौर पर वहां गया था।

सवाल - विवेक सराफ की क्या भूमिका है इसमे
जवाब - हम तो इनसे बात करने गए थे, इन्होंने कहा था साहब किशनगढ़ से आ जाएंगे तो मैं इनसे बात करके हटवा दूंगा गोविंद को।

सवाल - काउंसिल के अधिकारी और सरकार के अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, इसकी जानकारी मंत्रीजी को थी क्या
जवाब - हम तो शिकायत करने आए थे


सवाल - जब अधिकारियों को पैसे दिए तो काम क्यों नहीं किया उन्होंने
जवाब - खुद ही रखना चाह रहे होंगे पूरे, सबको नहीं बांटे होंगे

कॉलेज संचालिका सुमन से बातचीत

सवाल - से विवेक सराफ से डील किस बात की हो रही है
जवाब - अचानक फोन म्यूट हो गया ... कुछ देर बाद..हम मालवीय नगर के ही हैं

रजिस्ट्रार ने कहा...

ऊपर वालों ने लिए तो पता नहीं, हमने सब नियमानुसार किया।पैसे का लेन देन उपरी स्तर पर हुआ है तो हमे पता नहीं। हमने गाइडलाइन के हिसाब से कॉलेज अप्रूव किए।